‘स्व, स्वतंत्रता और प्रतिरोध अतीत से वर्तमान तक’ के विषय पर आयोजित तीन दिवसीय महाधिवेशन में कई इतिहासकारों का लगा जमावड़।

Patna Desk

 

जिले के जमुहार स्थित गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय परिसर में इतिहास अनुसंधान परिषद व अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना द्वारा स्व, स्वतंत्रता और प्रतिरोध: अतीत से वर्तमान तक, के विषय पर आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन के दूसरे दिन मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए भारत के शिक्षामंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने अपने संबोधन में कहा कि भारत की सबसे बड़ी पूंजी यहां का इतिहास और शिक्षा है। अब तक भारत में इतिहास को गलत तरीके से लिखा गया जो अब भारत सरकार पूरी ताकत के साथ नई और सही इतिहास लिखने की ओर प्रयासरत है। भारतीय इतिहास का सही मूल्य युवा वर्ग को समर्पित करने के पूर्व उन्हें गुलामी के निशान को मिटाने, अपने विरासत पर गर्व करने एवं कर्तव्यों को निभाने की परिपाटी की ओर अग्रसर करना होगा। इसके लिए बहुत प्रकार की चुनौतियों का सामना करना होगा लेकिन हमें ना डरना है और ना ही किसी के दबाव में काम करना है। श्री प्रधान ने कहा कि भारतीयों को यूरोपीय एवं अन्य महादेशों के लोग पेड़ ,मिट्टी और नदियों की पूजा करने वाले साबित करने में लगे हुए हैं लेकिन आज पूरा विश्व भारत की पारंपरिक मूल्यों का कायल है ।शिक्षा मंत्री ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में देश में एक सकारात्मक बदलाव की प्रक्रिया शुरू की गई है जिसमें तकनीकी शिक्षा एवं अनुसंधान को प्रमुखता दिया जा रहा है ।उन्होंने कहा कि जो भारत विदेशों से प्रदूषित अनाज आयातित करने के लिए मोहताज रहता था वह आज अपने अनुसंधान के बल पर 140 देशों में कोरोनारोधी टीका देने वाला देश बन गया है ।इतना ही नहीं 40 देशों को निशुल्क टीका भी दिया गया ।भारत सरकार शिक्षा की गति को प्रदान करने के लिए लगभग 260 शैक्षणिक चैनल की स्थापना कर रही है जिसके बल पर आने वाले समय में युवा वर्ग पूरे विश्व का नेतृत्व करेंगे ।उन्होंने भारतीय इतिहास की गरिमा को प्रतिस्थापित करने एवं इतिहास के वंचित घटनाओं को युवा पीढ़ी के बीच लाने के लिए सभागार में उपस्थित सैकड़ों की संख्या में इतिहास के विद्वानों की प्रशंसा की तथा अमृत वांगमय पुस्तक श्रृंखला का विमोचन भी किया ।उन्होंने कहा कि भारत के इतिहास को आने वाले 25 वर्षों में इस तरह से सुसज्जित करना है कि जब भारत के आजादी के 100 साल पूरे हो रहे हों तब देश बिल्कुल अपने मौलिक अवधारणाओं पर खड़ा रहे। अखिल भारतीय इतिहास योजना के संगठन सचिव बालमुकुंद पांडे ने संगोष्ठी के दूसरे दिन संबोधित करते हुए कहा कि यह महाधिवेशन भारतीय इतिहास के लेखन के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा एवं आजादी के अमृत महोत्सव में अपने सफल आयोजन के बल पर भारतीय इतिहास लेखन में हुई विसंगतियों को दूर करेगा ।उन्होंने खासकर युवा इतिहासकारों से अपील कि की वैसी दर्जनों घटनाएं जिसमें भारत पर हमला करने वाले आक्रांताओं को पराजित होकर यहां से भागना पड़ा, इतिहास पर शोध कर उन्हें सामने लाएं ।उन्होंने भारतीय इतिहास में स्व का बोध कराने पर बल देते हुए कहा कि अपने पूर्वजों पर गर्व करने जैसे अवधारणा भारत के नागरिकों में भर दे ऐसा इतिहास होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारा इतिहास हजारों वर्षों पुराना है जबकि केवल भारत पर हमला करके इस पर जबरन अपना शासन चलाने वाले वैसे कुछ काल खंडों का इतिहास हमें बचपन से पढ़ने पर मजबूर किया गया । हमेशा वैसा इतिहास पढ़ाया गया है कि हम अपने आप को बिल्कुल कमजोर कर सकें। हमारे इतिहास को यूरोपीय नजर से देखा गया एवं विदेशी से लिखा गया ।इस प्रकार के इतिहास को सुधारने की आवश्यकता है ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी अपने इतिहास पर गर्व कर सके। संगोष्ठी को संबोधित करते हुए हिमाचल केंद्रीय विश्वविद्यालय ,धर्मशाला के कुलपति प्रोफ़ेसर सत्य प्रकाश बंसल ने कहा कि भारतीय इतिहास की गरिमा को पुनः स्थापित करने के लिए इतिहास संकलन योजना द्वारा किया गया प्रयास अत्यंत सराहनीय है। उन्होंने गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय परिवार को इस प्रकार के महत्वपूर्ण कार्यक्रम जो देश की दशा और दिशा को बदलने में अपनी अहम भूमिका निभाएगी ,आयोजन कराने हेतु साधुवाद दिया ।

उन्होंने कहा कि बिहार लोकतंत्र की जननी रही है और यहां की मिट्टी अपनी पौराणिक और ऐतिहासिक गाथाओं को समेटे हुए हैं। उन्होंने कहा कि किसी समय बिहार से पूरे देश का शासन चलता था। उन्होंने इतिहास के अत्यंत महत्वपूर्ण पहलुओं को सैकड़ों बरसों से छुपा कर रखने के लिए पूर्व के इतिहासकारों को जिम्मेवार ठहराया एवं देशभर के सैकड़ों इतिहासविद लोगों से अपील की कि भारत के युवा देश को आगे ले जाने के लिए तत्पर है, उन्हें सही दिशा देने में इस आयोजन की महता अत्यंत महत्वपूर्ण होगी। संगोष्ठी के अंत में कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलाधिपति सह पूर्व सांसद गोपाल नारायण सिंह ने कहा कि मुझे इस बात के लिए अत्यंत गर्व महसूस हो रहा है कि भारतीय इतिहास एवं मूल्यों को पुनर्स्थापित करने एवं भारत को विश्वगुरु के बनाने के लिए रात दिन एक किए हुए हजारों विद्वानों की सेवा करने का अवसर प्राप्त हुआ ।मेरा सौभाग्य है कि भारत सरकार के शिक्षा मंत्री शिक्षण संस्थान में आज आए एवं भारत की नई शिक्षा नीति को मूर्त रूप देने के लिए चल रही योजना पर अपना विचार प्रस्तुत किया। आज के उद्घाटन सत्र के कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगीत के साथ किया गया। इसके बाद शिक्षा मंत्री ने आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर आजादी के दीवानों एवं वनवासी भाइयों के त्याग् पर आधारित चित्र प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया।

इस अवसर पर देश के विभिन्न राज्यों से आए हुए विश्वविद्यालयों के कुलपति ,शिक्षाविद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सुरेश सोनी समेत हजारों प्रतिभागी उपस्थित रहे ।उल्लेखनीय है कि तीन दिनों तक चलने वाले इस संगोष्ठी का आयोजन भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद नई दिल्ली,अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना ,गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय एवं वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय आरा के तत्वावधान में किया गया है जिसका कल दोपहर बाद समापन हो जाएगा।

इस अवसर पर राज्यों के विभिन्न स्थानों से आए लोक नृत्य एवं गीत के कलाकारों द्वारा प्रतिदिन शाम में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जा रहा है। आज के कार्यक्रम में मंचासीन अतिथियों को अंग वस्त्र एवं प्रतीक चिन्ह देकर संस्थान के सचिव गोविंद नारायण सिंह एवं प्रबंध निदेशक त्रिविक्रम नारायण सिंह ने अभिवादन किया। कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर ओम प्रकाश ने किया।

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