NEWSPR डेस्क। निगरानी विभाग ने दो दिन पहले कार्रवाई करते हुए पुलिस सिपाही दीपक कुमार को 4.50 लाख लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा था। इस मामले में अब एक बड़ा ट्विस्ट आया है। अरेस्ट होने के बाद और जेल जाने से पहले निगरानी टीम की पूछताछ के दौरान सिपाही ने एक बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि रिश्वत उसके अकेले की नहीं है। उसमें और भी लोगों की हिस्सेदारी है। रिश्वत लेने के बाद पैसे का सभी हिस्सेदारों में बंटवारा होता है।
निगरानी के सूत्र द्वारा यह कहा गया कि पूछताछ के दौरान सिपाही ने कहा कि इन पैसों का बंटवारा डीएसपी समेत 2 लोगों में होना है। जिसमें एक युवक है जिसका नाम सोनू है। जब पूछताछ में उससे DSP के बारे में पूछा गया तो कहा कि उनकी पोस्टिंग पटना पुलिस में है। इतना ही नहीं जब सिपाही ने उनका नाम लिया तो निगरानी मामले की तह तक जाने में लगी है। वह सिपाही द्वारा दिए गए नामों के बारे में और तहकीकात कर रही। हालांकि टीम का यह भी दावा है कि उनके पास इस रिश्वत मामले में कई पुख्ता सबूत हैं।
बता दें कि कुछ रोज पहले गर्दनीबाग थाना के तहत चकविन्दा के रहने वाले अमरजीत कुमार के जरिए इस बात का खुलासा हुआ। अरविंद क्लासिक ट्रेवेलको नाम की एजेंसी पुलिस को गाड़ी उपलब्ध कराती है। इनका 35 लाख रुपए का बिल बकाया था। मुंशी दीपक नाम का सिपाही इनके बिल को पास होने देने में बाधा डाल रहा था। अमरजीत ने आरोप लगाया कि उनकी कंपनी का बिल पास करने के नाम पर मुंशी ने 8 लाख रुपए की रिश्वत मांगी थी। जिसके बाद गुरुवार की रात निगरानी की टीम ने 4.50 लाख रुपए रिश्वत लेते हुए पटना पुलिस के एक सिपाही दीपक कुमार सिंह को रंगे हाथ गिरफ्तार किया था। जिसके बाद अब यह खुलासा हुआ है।