मानव तस्कर रोधी इकाई (क्षेत्रक मुख्यालय) बेतिया कार्यालय 47वी वाहिनी सशस्त्र सीमा बल रक्सौल पूर्वी चम्पारण बिहार ने “मिशन निर्भया” के अंतर्गत मानव तस्करी के रोकथाम करने में लगातार सफलता हासिल की है इसी क्रम में इंस्पेक्टर मनोज कुमार शर्मा को एक सोर्स ने आसूचना दी कि एस.एस.बी सहायता केंद्र मैत्री ब्रिज से हो कर एक व्यक्ति कुछ नाबालिग लड़कीयों को भारत में ले जाने की तैयारी में है। इसलिए मैत्री पुल पर सतर्कता से ध्यान दिया जाने लगा।
लगभग 03 घंटे बाद हवलदार अरविंद द्विवेदी ने संदेह के आधार पर एक व्यक्ति जो एक नेपाली लड़की को साथ ले जाते देख रोक कर पूछताछ की गई तो व्यक्ति ने बताया कि जो लड़की हमारे साथ है वह मेरी पत्नी है, लड़की की मांग में हिंदू रीतिरिवाज से सिंदूर देख कर एक बार तो लगा व्यक्ति सही बोल रहा है। जब लड़की से काउंसलिंग की गई तो दोनों के बयान में काफी भिन्नता पाई गई।
सम्भावित मानव तस्करी मामले को संज्ञान में लेते हुए और भाषा की समस्या को लेकर माइती नेपाल एन.जी.ओ को बुला कर नेपाली लड़की की काउंसलिंग की गई तो लड़की ने बताया कि फोन व सोशल मीडिया के माध्यम से व्यक्ति ने लड़की से दोस्ती करने की बहुत बार कोशिश की, बहुत दिन तक तो अनदेखा करती रही पर एक दिन उसकी बात मान ली और उसकी दोस्ती में पड़ गयी।
मामले की सच्चाई जानने के लिए जब दोनों से अलग अलग गहनता से पूछताछ की गई तो निम्नलिखित बातों का पता चला, अभियुक्त मोहम्मद मंजूर आलम खान की दूसरी शादी सुनैना नाम की लड़की से तय हो रखी है जबकि पहली पत्नी निशा से उसने तलाक़ की बात कही और जब कुछ कागज या सबूत दिखाने को कहा गया तो वो स्पष्ट उत्तर नहीं दे पाया। पीड़ित लड़की ने बताया कि मोहम्मद मंजूर आलम खान ने मुझसे शादी करने का वादा किया है नेपाली लड़की को अभियुक्त की पहली पत्नी के तलाक होने और दूसरी शादी तय होने के बारे में कोई भी जानकारी नहीं है जब लड़की के परिवार वालों से फोन द्वारा सम्पर्क किया गया तो उन्हें इस बारे में कोई भी जानकारी नहीं थी।
लड़की के माता-पिता ने आग्रह किया कि हमारी बेटी को भारत नहीं जाने दिया जाय ।इस प्रकार मानव तस्कर रोधी इकाई क्षेत्रक मुख्यालय बेतिया कार्यालय 47वी वाहिनी रक्सौल ने एक बार फिर से एक नाबालिग लड़की के जीवन को बचाने का महत्वपूर्ण कार्य किया है ।