2021 में हुए पटना के चर्चित रुपेश हत्याकांड में कोर्ट ने चारों आरोपियों को किया बरी,पुलिस की जांच पर उठने लगे सवाल

Patna Desk

NEWSPR DESK-2021 में हुए पटना के चर्चित रुपेश हत्याकांड में आज कोर्ट ने इस कांड में गिरफ्तार चारो आरोपितो को बरी कर दिया. कोर्ट ने माना की पुलिस के पास इन चारो के खिलाफ कोई भी पुख्ता सबूत नहीं थे. पुलिस ने चार्जशीट मे जो थ्योरी दिया था वो भी गलत था. कोर्ट ने इस कांड के मुख्य आरोपी ऋतुराज के साथ साथ सौरव, पुष्कर और आर्यन जायसवाल को भी बरी कर दिया. कोर्ट के इस फैसले से पटना पुलिस की जाँच पर कई सवाल उठने लगे है.

क्या रुपेश कांड में सफेदपोश को बचाने के लिए इन चारो को मोहरा बनाया गया? क्या एक प्लांटेड स्टोरी के तहत रुपेश के हत्यारो को बचाकर इन चारो को जेल भेजा गया? इस बहूचर्चित कांड को लेकर सवाल तब भी उठे थे जब पुलिस ने अपनी थ्योरी बताई थी. मामले के मुख्य आरोपी बनाये ऋतुराज की पत्नी और परिवार वालो ने भी तब पुलिस की कहानी पर सवाल उठाये थे.आपको याद होगा की तब तत्कालीन डीजीपी ने पटना के एसएसपी उपेंद्र शर्मा, सिटी एसपी विनय तिवारी सहित सभी टीम में शामिल पुलिसकर्मियों को अवार्ड देने की सिफारिश की थी… क्या डीजीपी को भी झूठी कहानी सुनाई गई थी या ऊपर के आदेश का पालन करने के लिए यह कहानी रची गई थी? आपको बता दे की 12जनवरी 2021को रुपेश सिंह की हत्या पटना के शास्त्रीनगर थाना क्षेत्र के पुनाई चक में उनके अपार्टमेंट के सामने कर दी गई थी. रुपेश पटना एयरपोर्ट पर इंडिगो एयरलाइन्स का मैनेजर था. लेकिन रुपेश की रसूख कई नौकरशाह से लेकर बड़े बड़े राजनेताओं तक था. यही वजह थी की रुपेश हत्याकांड को लेकर पटना पुलिस पर काफी दबाव था. घटना को पेशेवार अपराधियों ने अंजाम दिया था लेकिन किसके इशारे पर इसको लेकर कई सवाल उठ रहे थे. इस बीच पटना पुलिस ने मामले का खुलासा करते हुए ऋतुराज, छोटू , सौरव और आर्यन जायसवाल को गिरफ्तार कर अपनी थ्योरी बताई. पुलिस के अनुसार ऋतुराज की बाईक से रुपेश का टक्कर हुआ था और दोनों में झड़प हुई थी इसी का बदला लेने के लिए ऋतुराज ने अपने साथियो के साथ मिलकर रुपेश की हत्या की योजना बनाई थी. और फिर उसे मार दिया. पुलिस ने इस मामले में 350पेज का आरोप पत्र दाखिल किया था इसके अलावा 100जगहों के सीसीटीवी फुटेज सबूत के तौर पर कोर्ट में दिए गए थे. पुलिस ने दावा किया था की आरोपियों के खिलाफ इलेक्ट्रोनिक सर्विलांस के तहत भी कई सबूत है… लेकिन कोर्ट ने किसी सबूत को इनके गुनहगार करार दिए जाने का आधार नहीं बनाया. यही नहीं जिन हथियारों को बरामद कर कोर्ट में पेश किया गया था वो भी सबूत नहीं बन पाए क्योंकि उनकी बैलेंस्टिक रिपोर्ट मैच नहीं था. अब सवाल उठता है की जब इतने बड़े और चर्चित मामले में पुलिस की जाँच ऐसी होती है तो फिर अन्य मामलो का हाल क्या होता होगा? बहरहाल सबसे बड़ा सवाल तो यही है की आखिर किसके गुनाहो पर पर्दा डालने के लिए इतना. बड़ा झूठ गढ़ा गया….?

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