21 साल पहले पाकिस्तानी आतंकवादियों को मारते हुए शहीद जॉन के परिवार भुखमरी के कगार पर

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विजय दिवस विशेष/ अजित सोनी

गुमलाः शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर वर्ष मेले वतन पर मरने वालों का बाकी निशां होगा। 21 साल पहले कारगिल में युद्ध समाप्त होने के बाद भी पाकिस्तानी आतंकियों की घुसपैठ जारी थी। जिन्हे रोकने की कोशिश में गुमला जिला की रायडीह प्रखंड के परसा पंचायत के तेलिया गांव के हवलदार जॉन अगस्तुत एक्का शहीद हो गए थे। उस समय उनकी शहादत सभी की आंखें नम थी। लेकिन इन दो दशक में हालात पूरी तरह से बदल गए। आज पूरा देश कारगिल विजय पर देश के जवानों को याद कर रहा है। लेकिन जॉन अगस्तुत एक्क का परिवार भुखमरी के कगार पर पहुंच चुका है।  ना तो उनके परिवार को सरकार के द्वारा आज तक कोई सहायता मिला ना ही उनके पुत्र को कोई सरकारी नौकरी मिली है। आज भी इस परिवार के लोग आस लगाए बैठे हैं।

गुमला जिला की रायडीह प्रखंड के परसा पंचायत के तेलिया गांव के हवलदार जॉन अगस्तुत एक्का का 10 अगस्त 1989 को सेना में बहाल हुए थे जिसके बाद पदोन्नति कर हवलदार बने थे ड्यूटी के दौरान कई अहम कार्य किए जिसके बाद होलार बने थे विदेश जाकर मेडल प्राप्त किए वही हवलदार जॉन अगसुस्त एक्का आखिकार आतंकवादियों की गोली से शाहिद हो गए जब शाहिद हुए तो उनके परिवार वालो को भी 6 दिन बाद पता चला कि हवलदार अगस्तुत एक्का शाहिद हो गये तब उनके बेटे छोटे छोटे थे आज 21 वर्ष हो जाने के वाजुद्ध भी कोई इंसाफ नही मिला हवलदार जॉन अगस्तुत एक्का की पत्नी का भी पेंसन तीन सालों से बंद है अब भुखमरी के कगार पर है उनके पुत्र की माने तो अगर सरकार नौकरी नही देती है तो भूखे मरने को मजबूर हो जायेगे वही हवलदार की पत्नी विबयानी लकड़ा की मानें तो वह शिक्षिका थी अब सेवानिवृत्त हो गयी, तीन साल के पेंशन बंद है। अब उनकी भी कोई कमाने वाले नही है इंसाफ के दर दर भटक रहे है।

गांव में नहीं हुआ विकास कार्य

जब शहीद के गांव तेलया पहुंचे तो ग्रामीणों ने बताया कि शहीद के नाम पर कोई गांव का कोई भी विकास नही हुआ है जिसे गांव के ग्रामीण आज भी विकास के लिए आस बैठाए है और उनके प्रतिमा लगाने की मांग की गयी लेकिन 21 वर्षो बीत जाने का बाद भी प्रतिमा नही लग पाया है। जिसे ग्रामीणों को लगता है की झारखण्ड सरकार शहीद के परिवारों को अनदेखी कर रही है।

बहरहाल जो भी हो लेकिन जब शहीद होते है तो सरकार के नुमाइंदे वादा भी कर कर जाते है लेकिन गुमला जिला के शहीद के परिवार आज भी न्याय की गुहार लगा रहे है लेकिन कोई सुनने वाला नही है सरकार लाख दावा करती है लेकिन दावा खोखला साबित होते दिख रहा है |

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