NEWSPR DESK- लोजपा में क्या टूट हुई बिहार के सियासत में भूचाल आ गया। बिहार की सभी पार्टियां इस मौके को अपने-अपने अंदाज में भुनाने में लगे हैं। चिराग पासवान से अलग हुए लोगों के बारे में ये सूचना मिल रही है कि वे लोग जेडीयू में जा सकते हैं। हालांकि उन्होंने ये कहा है कि वे लोग नीतीश कुमार के साथ नहीं जा रहे हैं.
हालांकि एनडीए का हिस्सा रहेंगे। इधर तेजस्वी यादव ने चिराग पासवान को खुले तौर पर अपने साथ आने का निमंत्रण दे दिया है। चिराग पासवान अपने पिता रामविलास पासवान की जयंति पर आशीर्वाद यात्रा निकालंगे। इधर चिराग को साथ लाने के लिए राजद भी रामविलास पासवान की जयंती मनाने का फैसला किया है। पार्टी की ओर से एक बयान में कहा गया कि दलित और पिछड़ों के दिवंगत नेता रामविलास पासवान की जयंती पार्टी मनाएगी। हालांकि, यह दिन आरजेडी के लिए भी खास है। इसी दिन आरजेडी का स्थापना दिवस है। यानी 5 जुलाई को राष्ट्रीय जनता दल 25वां स्थापना दिवस मनाएगा।
राजद ने फैसला किया है कि स्थापना दिवस के कार्यक्रम से पहले रामविलास पासवान की जयंती का कार्यक्रम मनाया जाएगा। सूत्रों की मानें तो लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल रामविलास पासवान की जयंती मनाकर चिराग को अपने खेमे में लाने की कोशिश कर रही है.
चाचा पशुपति कुमार पारस गुट और चिराग पासवान खेमे के बीच कुर्सी को लेकर लोक जनशक्ति पार्टी के भीतर खींचातानी जारी है। चिराग समर्थकों और नेताओं का कहना है कि पासवान पार्टी के अध्यक्ष हैं। वहीं, बीते दिनों पारस समर्थक सांसदों और समर्थकों ने चिराग को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटाते हुए सूरजभान सिंह को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया था। उसके बाद पारस को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने की बात कही गई। जिसके बाद चिराग ने कार्यकारिणी की बैठक बुलाकर अपना शक्ति प्रदर्शन किया था।
चिराग पासवान 5 जुलाई को हाजीपुर से आशीर्वाद यात्रा पर निकलने वाले हैं। हाजीपुर दिवंगत रामविलास पासवान का गढ़ माना जाता रहा है। अब ये लोकसभा क्षेत्र बागी चाचा पशुपति पारस का है। आशीर्वाद यात्रा के दौरान चिराग बिहार के सभी जिलों का दौरा करेंगे और ये संदेश देने की कोशिश होगी कि रामविलास पासवान की राजनीतिक विरासत के असली उत्तराधिकारी वो खुद हैं। माना जा रहा है कि इस यात्रा के दौरान चिराग अपने दलित वोट बैंक को भी मजबूत करने की कोशिश करेंगे।
बता दें, गत वर्ष हुए बिहार विधानसभा चुनाव में एलजेपी को लगभग 6 फीसदी और संख्या में 26 लाख वोट मिले थे। वहीं, मात्र एक विधायक जीतने में सफल हुए थे। लेकिन, ये एकमात्र विधायक ने भी बीते महीने नीतीश का दामन थामते हुए पाला बदल जेडीयू में शामिल हो गए थे। अब तेजस्वी इस कोशिश में हैं कि चिराग के पास जो 6 फीसदी पासवान वोट बैंक है उसको अपनी ओर खींचा जाए, जिसका लाभ उन्हें 2024 के लोकसभा चुनाव और फिर 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव में मिल सके।
राजनीतिक जानकारों का ये भी मानना है कि नीतीश को चिराग ने विधानसभा चुनाव में काफी नुकसान पहुंचाया है। यदि तेजस्वी-चिराग साथ आते हैं तो ऐसे में महागठबंधन को काफी फायदा हो सकता है। लेकिन, चिराग अब तक इस बात से इंकार करते रहे हैं और उनका कहना है कि वो एनडीए का हिस्सा बने रहेंगे। हालांकि, अभी तक के पूरे लोजपा घटनाक्रम और घमासान पर बीजेपी के किसी भी बड़े आलाकमानों की कोई टिप्पणी नहीं आई है। ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि क्या भाजपा ने चाल चलकर चिराग को राजनीति में अकेला छोड़ दिया है।