भारत में फास्ट इंटरनेट की चाहत का सपना हर कोई देख रहा है. अब यह सपना सच होने के एक कदम और नजदीक पहुंच गया है. भारत में 5G इंटरनेट तकनीक का ट्रायल शुरू करने की परमीशन सरकार ने दी दी है. इसकी मांग लंबे वक्त से टेलीकॉम कंपनियां कर रही थीं. बता दें कि 2 साल पहले सरकार ने दिल्ली में आयोजित इंडियन मोबाइल कांग्रेस के दौरान सिर्फ एक परिसर (निर्धारित क्षेत्र) के भीतर इसके ट्रायल की परमीशन दी थी. लेकिन अब यह ट्रायल दूर गांव से लेकर शहरों तक सब जगह होगा. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर 5G क्या है? और इससे हमारी जिंदगी पर क्या फर्क पड़ने वाला है? इंटरनेट की दुनिया इससे कैसे बदलने वाली है? क्या यह सेहत के लिए नुकसानदायक है? क्या 5G तकनीक इंसान और धरती के लिए खतरा है? क्या वाकई 5G इतना घातक है? ऐसे तमाम सवाल इन दिनों देश-दुनिया में उठाए जा रहे हैं और 5G तकनीक का विरोध किया जा रहा है.
फिलहाल भारत में 5G का विरोध करने वालों में बॉलिवुड की मशहूर ऐक्ट्रेस जूही चावला का नाम भी जुड़ गया है. उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका डाली है कि भारत में 5G वायरलेस नेटवर्क की शुरुआत न होने दी जाए. जूही चावला कहती हैं कि 5G से नागरिकों, जानवरों, पेड़-पौधों को खतरा है. उनके मुताबिक, अगर 5G नेटवर्क आया तो धरती पर ऐसा कोई शख्स, जानवर, चिड़िया या पौधा नहीं होगा जो साल के 365 दिन रेडिएशन से बच पाए. जूही का दावा है कि तब रेडिएशन आज के मुकाबले 10 से 100 गुना ज्यादा होगा.
अब सवाल ये उठता है कि क्या जूही चावला के ये दावे सही हैं? या फिर इन दावों में कोई सच्चाई नहीं है? वैज्ञानिक 5G के सुरक्षित होने को लेकर क्या कहते हैं? आइए इन सब सवालों के जवाब ढूंढने की कोशिश करते हैं.
क्या है 5G?
5G यानी पांचवीं पीढ़ी का मोबाइल नेटवर्क. आप और हम 2G, 3G, 4G से तो वाकिफ हैं, 5G उसका अगला संस्करण है. 5G से ऐसा नेटवर्क तैयार होगा जहां हर कोई हर चीज से वर्चुअली कनेक्ट हो पाएगा फिर चाहे वह मशीन हो या डिवाइसेज. 5G के जरिए कनेक्टिविटी की रफ्तार बेहद तेज हो जाएगी. 10 GB पर सेकेंड की स्पीड से कुछ भी डाउनलोड कर सकेंगे. इसमें लेटेंसी बेहद कम होगी. नेटवर्क कैपेसिटी ज्यादा होगी.
भारत में कहां तक पहुंचा इसका ट्रायल?
डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकम्युनिकेशंस ने 5G ट्रायल स्पेक्ट्रम अलॉट कर दिया है. इससे रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया के लिए रास्ता साफ हो गया है. जियो और एयरटेल के पास पहले से 5G रेडी नेटवर्क्स हैं. हालांकि अभी तक 5G ट्रायल्स शुरू नहीं हो सके हैं.
WHO की क्या राय है 5G को लेकर?
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, अभी तक की रिसर्च में वायरलेस तकनीकों का सेहत पर कोई दुष्प्रभाव सामने नहीं आया है. 5G इन्फ्रास्ट्रक्चर से जो एक्सपोजर होता है, वह 3.5 गिगाहर्ट्ज़ के बराबर होता है. यह अभी के मोबाइल बेस स्टेशन के बराबर ही है. WHO की वेबसाइट के मुताबिक, चूंकि अभी यह तकनीक विकसित हो रही है, ऐसे में और रिसर्च होनी चाहिए.
क्या हैं हेल्थ से जुड़ी वैज्ञानिकों की चिंताएं?
भारत के कई नामी वैज्ञानिकों ने 5G को लेकर जल्दबाजी न करने को कहा है. दो साल पहले, कई वैज्ञानिकों ने केंद्र सरकार को पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने कहा था कि 5G से इंसानी सेहत और पर्यावरण को नुकसान हो सकता है. वैज्ञानिकों का कहना था कि 5G से पहले विस्तार से रिसर्च की जरूरत है क्योंकि रेडिएशन का असर अक्सर देर से दिखता है. उन्होंने कहा था कि अगर इसे इंसानों के लिए सुरक्षित मान लिया भी जाए तो भी पेड़-पौधों पर इसके असर पर ढेर सारी रिसर्च होनी चाहिए.
‘5G से हेल्थ को खतरा नहीं’
भारत के मशहूर टेक एक्सपर्ट्स में से एक, IIT कानपुर के डायरेक्टर अभय करंदीकर के मुताबिक, RF रेडिएशंस से स्वास्थ्य पर किसी तरह के दुष्प्रभाव की बात किसी रिसर्च में सामने नहीं आए हैं. उनके मुताबिक, 5G को अलग-अलग स्पेक्ट्रम बैंड्स में डिप्लॉय किया जाएगा. मशहूर बैंड्स कम फ्रीक्वेंसी वाले होंगे. हाई फ्रीक्वेंसी रेंज वाले बैंड्स की कवरेज छोटी होगी है और उनकी रेडिएशन पावर भी सीमा के भीतर होगी. करंदीकर के मुताबिक, 5G से सेहत को लेकर ज्यादा चिंता की जरूरत नहीं है.
5G का पर्यावरण पर कैसा असर होगा?
यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन पर छपे एक लेख के मुताबिक, 5G से निश्चित तौर पर दुनियाभर में ऊर्जा का इस्तेमाल बढ़ेगा. लेख में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन के लिए उर्जा का बढ़ता इस्तेमाल भी एक प्रमुख वजह है. हालांकि यूनिवर्सिटी ऑफ ज्यूरिख की एक स्टडी कहती है कि साल 2030 तक 5G नेटवर्क्स के जरिए ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन 4G नेटवर्क्स से कम हो जाएगा.
क्यों जरूरी है भारत के लिए 5G टेक्नोलॉजी?
दुनिया में 40 से ज्यादा टेलिकॉम ऑपरेट्स 5G लॉन्च कर चुके हैं. 4G को भारत में धमाकेदार सफलता मिली. 5G का सपोर्ट करने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि 5G तकनीक से भारत की टेलिकॉम कंपनियों को कनेक्टिविटी से आगे बढ़कर कंज्यूमर्स, इंडस्ट्रीज और इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए हल निकालने का मौका मिलेगा. डिजिटल दुनिया में अपनी धाक जमाने का जो सपना भारत 90 के दशक से देखा रहा है, उसके साकार होने के लिए 5G बेहद जरूरी माना जा रहा है.