Patna Desk: केंद्र की मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ महामारी के दौर में भी रार थम नहीं रही है. दरअसल, दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के 6 महीने पूरे हो चुके हैं. अब इस प्रदर्शन को रफ्तार देने के लिए किसानों ने आज देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया था. संयुक्त किसान मोर्चा ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ सभी देशवासियों से समर्थन मांगते हुए आह्वान किया है कि लोग अपने घर और वाहन पर काला झंडा लगाने और मोदी सरकार के पुतले जलाएं. कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आज देशभर में काला दिवस मनाया जा रहा है. जिसके लिए महामारी के बीच दिल्ली की सीमाओं पर बड़ी संख्या में किसानों के पहुंचने लगे है.
खास बात यह है कि आज ही केंद्र की मोदी सरकार के 7 साल पूरे हो रहे हैं तो दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन के आज 6 महीने दिन पूरे हो रहे हैं. इस मौके पर सयुंक्त किसान मोर्चा ने मोदी सरकार के विरोध स्वरूप काले झंडे लगाने का फैसला किया.
किसानों के प्रदर्शन को देश की दर्जन भर से ज्यादा विपक्षी पार्टियों ने भी समर्थन देने का ऐलान किया. बिहार में राष्ट्रीय जनता दल और जाप पार्टी के कार्यकर्ताओं ने किसानों के इस आंदोलन का समर्थन किया. साथ ही किसान विरोधी बिल को लेकर जाप कार्यकर्ताओं ने किसान बिल को काला दिवस के रुप में भी मनाया.
आपको बता दें, जाप कार्यकर्ताओं ने काला पट्टी बांधकर इंकलाब जिंदाबाद कृषि कानून वापस लेना होगा जैसे कई नारे लगाए गए. साथ ही किसान बिल को लेकर जाप के एक कार्यकर्ता ने कहा कि, संयुक्त किसान समिती के आह्वान पर आज हम काला दिवस मना रहे हैं. आज पप्पू यादव जेल मे हैं लेकिन जन अधिकार पार्टी बिहार के सभी जिले में काला दिवस मना रही हैं. आज किसान आंदोलन का छह माह हो गया और किसान कानून वापस करने के सवाल पर लाखों किसान बरसात, धूप में धरना पर बैठे हैं लेकिन प्रधानमंत्री के अड़ियल रवैया के कारण इस बिल को वापस नहीं लिया जा रहा. प्रधानमंत्री केवल उद्दोगपतियों को मुनाफा पहुंचाना चाह रही हैं. छह माह से ये साबित हो गया है कि, इस देश के प्रधानमंत्री को किसानों से कोई मतलब नहीं हैं केवल ये उद्दोगपतियों को लाभ पहुंचाना चाह रही हैं.
आपको बताते चलें कि, राष्ट्रीय जनता दल ने भी किसानों के इस आंदोलन का समर्थन दिया है. राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि किसान आंदोलन के छह महीने पूरे होने पर आज किसान इसे ब्लैक डे के रूप में मना रहे हैं. मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि किसानों के समर्थन में खड़ी विपक्षी पार्टियों ने 12 मई को पीएम मोदी को पत्र लिखकर किसानों की मांगों को पूरी करने की बात कही थी. किसान छह महीने से आंदोलन कर रहे हैं. किसान परेशान है लेकिन अब तक कोई रास्ता नहीं निकाला गया है. आरजेडी प्रवक्ता ने सरकार से कृषि बिल कानून को वापस लेने की मांग की.
इस प्रदर्शन को सफल बनाने के लिए बड़ी तादाद में यूपी, हरियाणा और पंजाब से किसानों के नए जत्थों के दिल्ली बॉर्डर पर पहुंचने का सिलसिला भी जारी है. गौरतलब है कि 2014 में नरेंद्र मोदी ने पहली बार प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी. उसी दिन से किसानों द्वारा विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है. ऐसे में विपक्ष के समर्थन को देखते हुए इसके राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं.