बह गया 8 करोड़ का पुल, अवैध बालू खनन या ठेकेदार की गलती.. जिम्मेवार कौन?

Sanjeev Shrivastava

NEWSPR डेस्क। चक्रवाती यास तूफान ने झारखंड के कई जिलों में तबाही मचाई. झारखंड में लगातार बारिश होने के चलते नदियां उफान पर हैं. जिससे कई इलाको में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं. वहीं रांची के कांची नदी पर नवनिर्मित पुल तेज पानी की धार में क्षतिग्रस्त हो गया. अब इस मामलें में ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने जांच का आदेश दिया है. सचिव को उच्च स्तरीय जांच टीम से जांच कराने को कहा है.

इसी के साथ विधायक विकास मुंडा ने कहा कि इससे पहले भी एक और पुल गिरा है और दोनों पुल का कंस्ट्रक्शन एक ही कंपनी ने किया है. इसलिए इस मामले की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए. स्थानीय लोगों का कहना है कि इस पुल को रांची के ठेकेदार रंजन सिंह ने बनाया है.

पुल का संपर्क रोड भी नहीं बना है और अभी इसका विधिवत उद्घाटन भी नहीं हुआ है. इससे पहले ही ये धव्स्त हो गया. कांची नदी पर बना पुल रांची जिला का सबसे लंबा पुल था. यह पुल बुंडू, तमाड़, सोनाहातू और राहे प्रखंड को जोड़ती है. इस पुल का निर्माण लगभग 8 करोड़ की लागत से किया गया है. पुल के टूटने के बाद ग्रामीण इसे निर्माण करने वाले ठेकेदार और अवैध रूप से बालू उठाव करने वाले लोगों पर भी सवाल खड़ा कर रहे हैं.

लोगों का कहना है कि पुल बनाते समय अनियमितता बरती गई. इस बीच मजबूती का ख्याल बिल्कुल नहीं रखा गया और दलदल में ही पुल के पिलरों को खड़ा किया गया, जिसकी वजह से नींव कमजोर रही और तूफान को नहीं झेल सकी. वहीं पुल के टूटने पर गांव वालों का कहना है कि पुल के आस-पास नदी से अवैध बालु खनन भी है, जिसमें बालु तस्कर नदी पुल के आसपास जेसीबी लगा कर बालु खनन करते हैं. इस अवैध खनन को रोकने के लिए प्रशासन की तरफ से अब तक कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है.

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