एशिया के सबसे बड़े पशु मेले सोनपुर में 8 आउटडोर गेम होंगे आकर्षण का केंद्र, मुख्यमंत्री नीतीश करेंगे मेले का उद्धाटन

Patna Desk

NEWSPR डेस्क। छपरा बिहार की राजधानी पटना से सटे सोनपुर में हर साल लगने वाला विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र मेला एक बार फिर अपनी रौनक बिखेरने के लिए तैयार है। हालांकि एशिया के प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र मेले की स्वदेशी प्रकृति धीरे-धीरे आधुनिकीकरण की आहट से गायब हो रही है। इस बार आयोजकों ने मेले की मौलिकता बनाये रखने के लिए कुछ साहसिक और देसी खेलों के आयोजन की प्लानिंग की है।

जिला प्रशासन महीने भर चलने वाले मेले के दौरान आठ आउटडोर खेलों का आयोजन करने के लिए तैयार है। सारण के जिलाधिकारी राजेश मीणा ने जिला शिक्षा अधिकारी कौशल किशोर को विभिन्न खेल प्रतियोगिताएं आयोजित करने का निर्देश दिया है.जिलाधिकारी के मुताबिक डीईओ की ओर सेृ कबड्डी, खो-खो, वॉलीबॉल, रस्साकशी, हैंडबॉल, रोइंग (बोट रेसिंग), फुटबॉल और कुश्ती के लिए संयोजकों को नामित कर दिया गया है। ये सभी खेल मेले के दौरान 9 से 23 नवंबर के बीच आयोजित किए जाएंगे। एक हाफ मैराथन भी निर्धारित है, जिसे मेले के दौरान आयोजित किया जाएगा।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के 6 नवंबर को इस मेले का उद्घाटन करेंगे। जबकि, इस जिले के एक और लोकप्रिय मेले का उद्घाटन रेवलगंज में गोदना-सिमरिया मेला के रूप में किया जा रहा है। जिसका उद्घाटन 7 नवंबर को राज्य कला, संस्कृति और युवा मामलों के मंत्री जितेंद्र राय करेंगे। सोनपुर मेला गंगा और गंडक नदियों के संगम पर आयोजित किया जाता है।

सोनपुर मेला लोकप्रिय रूप से पशु मेले के रूप में जाना जाता है। इस मेले में गायों और बैलों की विभिन्न नस्लों को बिक्री के लिए लाया जाता है। हालांकि, सारण जिले के दिघवारा के सामाजिक कार्यकर्ता अमित कुमार ने कहा कि खेती या खेतों की जुताई के लिए ट्रैक्टरों की शुरुआत के बाद बैलों की जरूरत कम हो गई है। इसी तरह, इस मेले में हाथियों की बिक्री या उपहार पर प्रतिबंध का भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। अमित ने कहा कि पहले राज्यपाल भी इस मेले में घुड़दौड़ और अन्य पशु प्रदर्शनी देखने आते थे, जो आगंतुकों के लिए आकर्षण का केंद्र होता था।

सोनपुर मेला बिहार के सोनपुर में हर साल कार्तिक पूर्णिमा (नवंबर-दिसंबर) में लगता हैं यह एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला हैं। मेले को ‘हरिहर क्षेत्र मेला’ के नाम से भी जाना जाता है जबकि स्थानीय लोग इसे छत्तर मेला पुकारते हैं। बिहार की राजधानी पटना से लगभग 25 किमी तथा वैशाली जिले के मुख्यालय हाजीपुर से 3 किलोमीटर दूर सोनपुर में गंडक के तट पर लगने वाले इस मेले ने देश में पशु मेलों को एक अलग पहचान दी है। बाकी मेलों के उलट यह मेला कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान के बाद शुरू होता है।

एक समय इस पशु मेले में मध्य एशिया से कारोबारी आया करते थे। अब भी ये एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला माना जाता है। सोनपुर पशु मेला में आज भी नौटंकी और नाच देखने के लिए भीड़ उमड़ती है। एक जमाने में ये मेला जंगी हाथियों का सबसे बड़ा केंद्र था। मौर्य वंश के संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य (340 -298 ईसा पूर्व), मुगल सम्राट अकबर और 1857 के गदर के नायक वीर कुंवर सिंह ने भी से यहां हाथियों की खरीद की थी। वर्ष 1803 में रॉबर्ट क्लाइव ने सोनपुर में घोड़े के बड़ा अस्तबल भी बनवाया था। एक दौर में सोनपुर मेले में नौटंकी की मल्लिका गुलाब बाई का जलवा होता था।

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