NEWSPR डेस्क। बिहार में जब शराबबंदी नहीं थी तब एक ऐसा समुदाय था जिसका जीविका शराब बेचने से चला करता था लेकिन शराबबंदी के बाद से जो सुखद तस्वीर सामने आई उसमें इस समुदाय का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
जिस सामुदाय का जीने का जरिया शराब हुआ करता था वो आज स्वरोजगार से जुड़कर रोजगार की मिशाल पेश कर रहा है। ये सुखद तस्वीर शराब माफियाओं के चेहरे पर एक तमाचा है। जो शराबबंदी के बाद भी तस्करी से बाज नही आते है। लेकिन कटिहार के आदिवासी समुदाय का एक ऐसा इलाका है, जहां शराबबंदी के बाद खुशहाली लौट आई है।
तस्वीर कटिहार के गरभेली पंचायत के प्राणपुर गांव की है जहां लगभग सैकड़ो महादलित परिवार है। जो आज शराब के कारोबार को छोड़ अलग-अलग जीविका से जुड़े हुए हैं। कोई बकरी पालन कर रहा है, कोई सिलाई का कार्य कर रहा है तो कोई किराना दुकान चलाकर अपने परिवार का भरण पोषण कर समाज में अपनी हिस्सेदारी को मजबूत कर रहा हैं। इन रोजगारों से जुड़ी महिलाएं कहती है कि शराबबंदी के बाद उन लोगों ने रोजगार की शुरुआत की और अब इस नए रोजगार से जुड़कर लोगों से सम्मान भी मिल रहा है। बिहार में शराबबंदी के बाद हर दिन शराब की तस्करी पर रोक तो नहीं लग पाई लेकिन आदिक़सी गांव से जो तस्वीरें सामने आई है, वो बिहार में शराबबंदी के सफलता की नए इतिहास को लिख रहा है।
कटिहार से सुमन शर्मा की रिपोर्ट