आषाढ़ मास के गुप्त नवरात्र के चौथे दिन, सोमवार को बिहार के प्रसिद्ध शक्तिपीठ थावे में आस्था का अद्भुत नज़ारा देखने को मिला। मां सिंहासनी के दर्शन और पूजा-अर्चना के लिए बिहार, उत्तर प्रदेश और नेपाल से हजारों श्रद्धालु मंदिर पहुंचे।
श्रद्धालुओं ने मां भुवनेश्वरी को लाल सिंदूर, चावल और लाल पुष्प अर्पित किए, इसके बाद शुद्ध दूध या मेवों से बनी मिठाई का भोग लगाया। मां का भव्य श्रृंगार फूलों से किया गया, जो भक्तों को मंत्रमुग्ध कर गया। मंदिर परिसर में शंख, घंटा और नगाड़े की गूंज के बीच “जय मां सिंहासनी” के जयकारे गूंजते रहे।
भोर की मंगला आरती के साथ ही मंदिर में दर्शन के लिए भीड़ उमड़ पड़ी, जो दिन भर जारी रही। श्रद्धालु नारियल, चुनरी, माला, रोरी, रक्षा और लाई-चूड़ा की डलिया लेकर मां के दरबार में पहुंचे और दर्शन कर परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की।
गुप्त नवरात्र के पांचवें दिन होगी मां छिन्नमस्ता की पूजा
गुप्त नवरात्र का पांचवां दिन मां छिन्नमस्ता को समर्पित होता है, जिन्हें दस महाविद्याओं में पांचवां स्थान प्राप्त है। ज्योतिषाचार्य पंडित राजेश्वरी मिश्र के अनुसार, मां छिन्नमस्ता की पूजा से व्यक्ति की चिंताएं दूर होती हैं और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। उन्हें अकाल मृत्यु से रक्षा करने वाली देवी भी माना जाता है।
शिव पुराण में उल्लेख मिलता है कि देवी छिन्नमस्ता ने राक्षसों का वध कर देवताओं को भयमुक्त किया था। तंत्र साधना में इनकी विशेष महत्ता है और उन्हें त्रिपुर सुंदरी का उग्र रूप कहा गया है।
मां छिन्नमस्ता की पूजा विधि
- पूजा में सरसों के तेल में नील मिलाकर दीपक जलाएं।
- मां को नीले या सफेद फूल अर्पित करें।
- लोबान से धूप करें।
- भोग में उड़द दाल से बनी मिठाई चढ़ाएं।
गुप्त नवरात्र के इस पावन अवसर पर जो भी भक्त श्रद्धा और भक्ति भाव से मां की आराधना करता है, उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है।