भागलपुर बिहार के भागलपुर में एक दूल्हा लग्जरी कार की जगह नाव पर अपनी बारात लेकर निकला. यह पूरा दृश्य जिले के पीरपैंती प्रखंड के बाकरपुर गांव का है यहां 2 सप्ताह पूर्व से गंगा नदी में आई बाढ़ के पानी से बाकरपुर पंचायत पूर्ण रूप से प्रभावित हो चुका है ऐसे में, सोमवार को इस गांव के देवमुनी कुमार सजधज कर दूल्हा बने तो 35 किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए नाव की सवारी करनी पड़ी दरअसल बिहार और नेपाल में हो रही बारिश के बाद प्रदेश की नदियां उफान पर हैं. गंगा और कोसी नदी कुछ स्थानों पर खतरे के निशान से उपर बह रही है. कई जिलों के निचले इलाकों में बाढ़ का पानी घुसने लगा है. लड़के के पिता रामदेव मंडल ने बताया की शादी की तिथि एक महीने पहले निर्धारित कर ली गई थी. इसी बीच गंगा नदी में भीषण बाढ़ आ गई.बाखरपुर गांव भी बाढ़ के पानी से चारों तरफ से घिर गया, गांव से निकलने का रास्ता नहीं बचा तो कटिहार जिले के मनिहारी प्रखंड के कटाकोष गांव निवासी रामचंद्र चौधरी के यहां बारात नाव से गया. और शादी कर दुल्हन को लेकर नाव से ही वापस आया.दूल्हे राजा देवमुनी कुमार ने बताया की गंगा नदी में बाढ़ आने के कारण लड़की के घर जाने के लिए कोई और रास्ता नहीं बचा. ऐसे में नाव पर बारात को ले जाना पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि बारात में 25 से 30 लोग शामिल थे दूल्हे राजा देवमुनी कुमार ने बताया कि वे घर से सज धज कर बारात लेकर कुछ दूर तो स्कॉर्पियो से गए, वहां से पैदल गंगा किनारे गए फिर वहां से नाव अपने बाराती को साथ लेकर लड़की के घर कटिहार पहुंचे. घर से जब निकले तो आसमान साफ था लेकिन जब नाव पर सवार हुए तो बारिश होने लगी झमाझम बारिश के साथ भीगते हुए लड़की के घर बारात लेकर पहुंचे. बताया कि यदि बाढ़ नहीं आया होता तो हम लोग सड़क मार्ग से लड़की के घर तक बारात लेकर पहुंच जाते.
देवमुनी कुमार ने बताया कि एक महीना पहले से शादी तय थी। जाना सड़क मार्ग से था, लेकिन अचानक बाढ़ का पानी आ जाने के कारण नाव की सवारी करनी पड़ी नाव छोड़कर दूसरा कोई साधन नहीं बचा था उन्होंने बताया कि घर से बारात दोपहर 12 बजे के करीब निकले और लड़की के घर रात करीब 8 बजे पहुंचे, बताया कि लड़की का घर जाने के लिए सीधा रास्ता 35 किलोमीटर का है, लेकर गंगा नदी से होकर गए जिस कारण अधिक समय लगा बताया कि मेरे गांव से करीब 8 किलोमीटर दूर गंगा नदी है वहां कोई घाट नहीं है, लेकिन खेत किनारे ही अपना नाम बुक कर वहां खड़ा करवाया था, वहां तक हम लोग पैदल बारात के साथ गए फिर नाव पर सवार होकर उसपार हुए वहां पर भी लगभग 1 किलोमीटर पैदल चलने के बाद ई रिक्शा पर सवार होकर सीधे लड़की के घर पहुंचे. इस दौरान ना कोई “बैंड़ था ना कोई बाजा” कोई ताम-झाम नहीं हुआ मेरा शौक धरा का धरा रह गया. दिल में कसक रह गई शादी धूमधाम से करना था लेकिन बाढ़ के कारण सारा चौपट हो गया. नाव से ही ससुराल में मिला सारा सामान पलंग,तकिया, गद्दा, कुर्सी-टेबल, गोदरेज आदि लेकर अपने घर पहुंचा.नाव पर सवार बारात और दूल्हा -दुल्हन को देखातो लोगों की भारी भीड़ भी वहां पर जमा हो गई और लोग मजे से दूल्हे तथा बारात को नाव पर जाते हुए देखने लगे.