भागलपुर का गोराडीह का यह घर जो एक समय मे पुरे गाँव को डकैतो से बचाता था दरअसल आज से 60 से 70 साल पूर्व डकैतों का काफ़ी बोल वाला था.. डकैत काफी संख्या मे घोड़ों पर सवार होकर गाँव की तरफ रुख करते थे और लूट पाट मचाते थे पर गोराडीह गाँव का यह मकान यह सोंच कर बनाया गया था जो न केवल अपनी रक्षा डकैतों से कर सकते थे बल्कि गाँव मे भी डकैतों को घुसने से रोकते थे यह घर सुखदेव यादव का है जो उस समय के जमींदार थे.
इन्होने जो घर बनाया वो घर देखने मे तो आकर्षक था ही साथ ही मजबूती भी इतनी की बम के धमकों को भी आसानी से झेल सकता था आपको बतादे की घर के निचले फ्लोर की दीवारों पर न वेंडीलेटर प्रयोग किया था ना ही कोई खिड़की का और अगर हम बात करें की दरवाजे की तो वो दरवाजा महज चार फिट की चौडाई और 7 फिट की ऊँचाई वाला बनाया गया था दरवाजा बिलकुल ही लोहे का बनवाया गया था 3 क्विंटल से अधिक वजन वाला गेट का दरवाजा का प्रयोग किया गया था जिसको तोडना या हिलाना डकैतों के वश मे नही था यानि सुरक्षा का पूरा ख्याल रखा गया था इस मकान को बनाने मे ऊपर की मंजिल मे दीवारों मे खिड़की की जगह एक छेड़ नुमा आकर बनाया गया था जिससे इस घर के लोग लाइसेंसी बंदूको से डकैतों पर हमला बोलते थे डकैत लाचार होकर वहां से भागने को मजबूर हो जाते थे इस घर को पार करने के बाद ही डकैत गाँव मे घुस सकते थे पर इस घर को पार करना डकैतों के लिए मुश्किल होता था पर यह घरोहर आज खंडर मे तब्दील हो रहा है फिर इस महल पर आँखे आज टीक जाती है.