जेल के एक कैदी ने 8 साल में 31 डिग्रियां लीं, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी अपना नाम दर्ज कराया

Sanjeev Shrivastava

NEWSPR डेस्क। आम तौर पर जेल जाने के बाद लोगों का भविष्य खत्म हो जाता हैं और लोगों के लिए आगे का रास्ता काफी मुश्किल होता हैं. इन सारी बातों को गलत साबित करते हुए अहमदाबाद के जेल से अच्छी खबर हैं। जेल जाने के बाद ऐसा बहुत कम ही देखने को मिलता है कि कैदी वहां रहकर अपना फ्यूचर बनाने में जुट जाए, लेकिन अहमदाबाद के भानूभाई पटेल ने जेल में रहकर इन सब बातों को गलत साबित करते हुए ना सिर्फ पढ़ाई की, बल्कि सजा के दौरान 8 साल में 31 डिग्रियां लीं। इसके बाद उन्हें सरकारी नौकरी का ऑफर मिला। नौकरी के बाद 5 सालों में उन्होंने और 23 डिग्रियां लीं।
वे अपना नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड, यूनिक वर्ल्ड रिकॉर्ड, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड, यूनिवर्सल रिकार्ड फोरम और वर्ल्ड रिकॉर्ड इंडिया तक में दर्ज करा चुके हैं।
भानूभाई पटेल मूल भावनगर की महुवा तहसील के रहने वाले हैं। अहमदाबाद के बीजे मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री लेने के बाद 1992 में मेडिकल की डिग्री लेने के लिए अमेरिका गए थे। यहीं, उनका एक दोस्त स्टूडेंट वीजा पर अमेरिका में जॉब करते हुए अपनी तनख्वाह भानूभाई के अकाउंट में ट्रांसफर करता था। इसके चलते उन पर फॉरेन एक्सचेंज रेग्युलेशन एक्ट (FERA) कानून के उल्लंघन का आरोप लगा और इस तरह 50 साल की उम्र में उन्हें 10 साल की सजा हुई और अहमदाबाद की जेल भेज दिया गया।

भानूभाई से बात करने पर उन्होंने बताया कि जेल से रिहा होने के बाद मुझे अंबेडकर यूनिवर्सिटी से जॉब ऑफर हुई। यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि जेल जाने वाले व्यक्ति को सरकारी नौकरी नहीं मिलती, लेकिन मेरी डिग्रियों के चलते सरकारी जॉब का ऑफर मिला। नौकरी के बाद 5 सालों में उन्होंने 23 और डिग्रियां लीं। इस तरह अब तक वह 54 डिग्रियां ले चुके हैं और इस विषय पर मैंने गुजराती, हिंदी और अंग्रेजी भाषा में तीन किताबें भी लिखी हैं।

भानूभाई ने अपने जेल के अनुभव को साझा करते हुए आगे बताया की कोरोना महामारी के चलते लगे लॉकडाउन के समय अपने जेल से लेकर विश्व स्तरीय रिकॉर्ड तक के सफर पर गुजराती, हिंदी और अंग्रेजी भाषा में तीन किताबें लिखीं हैं। गुजराती किताब का नाम ‘जेलना सलिया पाछळ की सिद्धि’, अंग्रेजी में ‘BEHIND BARS AND BEYOND’ है। इतना ही नहीं, भानूभाई 13वीं विधानसभा चुनावों में प्रिसाइडिंग ऑफिसर के रूप में भी कार्य कर चुके हैं। इस समय उनकी उम्र 65 साल है और वे अविवाहित हैं।

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, गुजरात की जेल में अनपढ़ों की बजाय शिक्षित कैदियों की संख्या ज्यादा है। ग्रेजुएट, इंजीनियर, पोस्ट ग्रेजुएट किए हुए कैदी तक इनमें शामिल हैं।गुजरात की जेलों में 442 ग्रेजुएट, 150 टेक्निकल डिग्री-डिप्लोमा, 213 पोस्ट ग्रेजुएट हैं। वहीं, 5179 कैदी 10वीं से कम पढ़े हैं। सबसे ज्यादा आरोपी हत्या और अपहरण के गुनाह में सजा काट रहे हैं।

उन्होंने आगे बताया की गुजरात की जेलों में कैदियों की पढ़ाई के लिए ओपन यूनिवर्सिटी के साथ कई अभ्यास क्रम भी चल रहे हैं। जिसके चलते, कैदी आगे की पढ़ाई भी कर रहे हैं। हर साल नियमित रूप से इनकी परीक्षाएं भी आयोजित होती हैं और कैदी इसमें शामिल होते हैं।

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