NEWSPR डेस्क। पटना मेडिकल कॉलेज के जर्जर नागार्जुन हॉस्टल के मेडिकल स्टूडेंट्स ने टूटी रेलिंग पर मौत का संदेश लिख दिया है। वार्निंग में कहा है कि सावधान रहाे या मरो। यह एक हॉस्टल तो महज बानगी भर है, मेडिकल कॉलेज के सभी 11 हॉस्टलों की दशा एक जैसी ही है। गंदगी और दुश्वारियों के बीच रह रहे मेडिकल स्टूडेंट्स हमेशा किसी अनहोनी की आशंका को लेकर डरे रहते हैं।
पटना मेडिकल कॉलेज में गर्ल्स और ब्वायज को मिलाकर कुल 11 हॉस्टल हैं। इसके बाद एएनएम नर्सिंग के हॉस्टल हैं। किसी भी हॉस्टल का भवन नया नहीं है। हर हॉस्टल के भवन की मियाद पूरी हो चुकी है। देखभाल के अभाव में भवन कम समय में ही जर्जर हो गए हैं। भवन की छत से लेकर दीवारों तक में पेड़ उग गए हैं।
इतना ही नहीं कैंपस के पेड़ की डाल भी भवन को क्षति पहुंचा रही है। कई भवन तो पेड़ों की वजह से ही क्षतिग्रस्त हो गए हैं। हॉस्टल में इतनी झाड़ियां हैं कि कमरों में सांप घूमते हैं, गंदगी के कारण हमेशा संक्रमण का खतरा बना रहता है। खाने का मेस भी गंदगी में चलता है और जहां मेडिकल स्टूडेंट्स रहते हैं वह जानवरों के रहने लायक भी नहीं है।
पटना मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ विद्यापति चौधरी का कहना है कि भवन निर्माण का पूरा काम BMSICL देखता है। पटना मेडिकल कॉलेज का में ऐसे काम के लिए उसके पास 1.70 करोड़ रुपया भी मिला है। हॉस्टल में रह रहे छात्रों के खतरे से अवगत कराते हुए BMSICL से मांग की गई है कि शीघ्र काम कराया जाए। लेकिन इसपर अब तक कोई ध्यान नहीं दिया गया है।
प्रिंसिपल का भी मानना है कि हॉस्टल के पुराने भवन खतरनाक हो गए हैं लेकिन वह चाहकर भी नहीं कुछ कर पा रहे हैँं। उनका कहना है कि पूर्व में निर्माण एजेंसी को कैंपस में ही रखा जाता था और यहां से वह हर काम देखती थी। बिजली और पानी के भवन की देखरेख के लिए अलग-अलग एजेंसी थी जो काम कराती थी, लेकिन अब सारा काम BMSICL के पास है।
खतरा है इस लिए जगह-जगह वार्निंग
मेडिकल छात्र समस्या से रोज जूझने के बाद भी आवाज नहीं उठा पाते हैं। पानी की समस्या तो आए दिन होती है। वह खुलकर सामने नहीं आते हैं क्योंकि आवाज उठाने पर कार्रवाई हो जाती है। पूर्व में कई मेडिकल छात्र पर कार्रवाई हो चुकी है। ऐसे में वह खतरनाक हॉस्टल में भी रह रहे हैं। नाप गोपनीय रखते हुए तृतीय वर्ष के एक मेडिकल स्टूडेंट ने बताया कि नागार्जुन हॉस्टल तो काफी खतरनाक हो गया है।
यहां रेलिंग टूटकर गिर रही है। जगह जगह वार्निंग का संदेश लिखना पड़ा है। यहां कोई भी स्टूडेंट थोड़ी सी भी लापरवाही किया तो उसके साथ कोई भी घटना हो सकती है।इस कारण से जहां-जहां खतरा है वहां छात्रों की तरफ से वार्निंग लिख दिया गया है। छात्रों ने बताया कि पटना मेडिकल कॉलेज का नाम इतिहास में दर्ज है लेकिन जो व्यवस्था है वह उन्हें काफी निराश करती है।
4 हॉस्टल में तो कभी भी हो सकती है घटना
पटना मेडिकल कॉलेज में डीएच 1 और डीएच 2 के साथ धन्वंतरि व नागार्जुन की हालत काफी खराब है। यहां रहना खतरे से खाली नहीं है। फिर भी मेडिकल स्टूडेंट्स रह रहे हैं। डॉक्टर हॉस्टल 7 की हालत भी काफी खराब है। साफ सफाई के नाम पर भी ध्यान नहीं दिया जाता है। गंदगी के बीच मेस में खाना तैयार होता है जिसे खाकर छात्र भी बीमार हो जाते हैं।
पटना मेडिकल कॉलेज के 11 हॉस्टलों में लगभग 1800 स्टूडेंट्स हैं और सभी दहशत में रहते हैं। पानी को लेकर अक्सर समस्या होती है और हालत यह हो जाती कि बाहर से पानी लाना पड़ता है। हॉस्टल की खतरनाक स्थिति में जगह-जगह वार्निंग लिखकर खुद काम चलाने वाले मेडिकल स्टूडेंट्स की समस्या को लेकर जब प्रिसिंपल से सवाल किया गया तो उन्होंने साफ कहा कि पैसा रिलीज है और काम BMSICL को कराना है। कई बार मांग की गई है लेकिन काम नहीं हो रहा है जिससे छात्रों को समस्या हो रही है।
पटना से विक्रांत की रिपोर्ट…