NEWSPR डेस्क(रूपम सिंह)। बनारस की धरती में गंगा मइया का वास है। बनारस केवल इस लिए प्रसिद्ध नहीं है बल्कि वहां ऐसे आजादी के परवाने भी पैदा हुए हैं, जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपनी जिंदगियां लगा दीं। स्वतंत्रता संग्रामी सचिंदर नाथ सान्याल भी ऐेसे ही एक स्वतंत्रता संग्रामी थे, जिन्होंने देश के लिए अपने जीवन के 20 साल ब्रिटिश जेलों में गुजार दिए।
आजादी की लड़ाई में आप ने चर्चित कई नामों को सुना होगा। उन्हीं में से एक है सचिंद्र नाथ सान्याल, ये नाम शायद आप हर किसी के जुबान पर नहीं सुना होगा। बता दें कि भगत सिंह के गुरु क्रांतिकारी शचींद्रनाथ सान्याल का जन्म 3 अप्रैल, 1893 को काशी में हुआ था और 7 फरवरी, 1943 को उनका निधन हुआ।
सच्चिंद्रनाथ सान्याल उन क्रांतिकारियों में थे जिन्हें पोर्ट ब्लेयर में लगातार दो बार सेलुलर जेल भेजा गया था। अपने समय के दौरान, सच्चिंद्रनाथ सान्याल टीबी से संक्रमित थे और उसे गोरखपुर जेल में स्थानांतरित कर दिया गया था। 7 फरवरी 1942 को गोरखपुर जेल, उत्तर प्रदेश में उनकी मृत्यु हो गई थी। 1931 में क्रांतिकारी भगत सिंह की पहली प्रामाणिक आत्मकथा प्रकाशित की लेकिन उनके भाई जतिन्द्र नाथ सान्याल ने 1931 में भारत की ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रतिबंधित किया।
उनकी दादी प्रतिमा सान्याल को महीने में एक बार दस मिनट तक ही मिलने की छूट थी। एक दिन मुलाकात के दौरान उन्होंने बाबाजी को खून की उल्टी करते हुए देखा। इसके बाद उन्होंने अंग्रेजों को अंजाम भुगतने के लिए चेताया था। हालत बिगड़ने पर वे जेल से रिहा हो गए। डॉक्टरों ने उन्हें तराई क्षेत्र में रहने की सलाह दी। इसके बाद वे गोरखपुर में अपने भाई रविंद्र सान्याल के यहां आ गए। 6 फरवरी 1943 को उन्होंने अंतिम सांसें लीं।
काकोरी कांड के साजिशकर्ता और भगत सिंह के गुरु क्रांतिकारी शचींद्रनाथ सान्याल की गोरखपुर स्थित जिस दाउदपुर मोहल्ले में सांसों की डोर टूटी, वे वहीं गुमनाम हैं। शहर में भी उनके नाम पर न कोई सड़क है, न चौराहा और न ही कोई स्मारक। बंगाली समाज तो उनकी यादों को दिल में संजोए है पर उनके वीर सपूत की शहर में गुमनामी उन्हें दर्द देती है।
शचींद्रनाथ सान्याल के बेटे रंजीत सान्याल और पुत्री अंजली ने चाचा रविन्द्र नाथ सान्याल के पास रहकर पढ़ाई पूरी की थी। रिश्तेदार लीना लाहिड़ी बताती हैं कि रंजीत बिजली विभाग में कर्मचारी थे जिनकी दो वर्ष पूर्व मौत हो गई। उनका परिवार इलाहाबाद में रहता है। अंजली कोलकाता में रहती हैं।