भारत और चीन के बीच बढ़े सीमा विवाद को लेकर शुक्रवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई गई और इस बैठक में कांग्रेस की अध्यक्षा सोनिया गांधी ने सरकार से कई सवाल पूछे हैं। बता दें आपको कि इस सर्वदलीय बैठक में देश की लगभग सभी पार्टियों को न्योता दिया गया था हालांकि बिहार की आरजेडी को इसमें नेता नहीं मिला। जिसके बाद उन्होंने अपना विरोध भी दर्ज कराया है। आपको बता दें कि बैठक में सबसे पहले कांग्रेस के अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपनी बातें रखी और हिंसक झड़प में शहीद हुए सैनिकों को अपनी श्रद्धांजलि दी। इस दौरान सोनिया गांधी ने कहा कि हमारे पास सरकार के लिए कुछ सवाल हैं और उसके बाद उन्होंने अपना सवाल भी पूछा।
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बैठक में सबसे पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपनी बात रखी। हिंसक झड़प में शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के बाद सोनिया गांधी ने कहा, ”मेरे विचार से यह बैठक पहले होनी चाहिए थी, जब चीन ने 5 कोई को लद्दाख और अन्य जगहों पर घुसपैठक की। हमेशा की तरह पूरा देश एक चट्टान की तरह एकसाथ खड़ा होता और देश की क्षेत्रीय अखंडता को सुरक्षित रखने के लिए सरकार को पूरा समर्थन देता। ऐसा नहीं हुआ। अब जब देर से भी यह हुआ तो हम संकट के अहम पहलुओं को लेकर अंधेरे में हैं।’
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सोनिया गांधी ने कहा, ”हमारे पास सरकार के लिए कुछ सवाल हैं। किस तारीख को चीन के सैनिकों ने हमारी जमान पर लद्दाख में घुसपैठ की। सरकार को कब इसकी सूचना मिली? 5 मई को या उससे पहले? क्या सरकार को सीमा की लगातार सैटेलाइट पिक्चर्स नहीं मिलती? क्या हमारी बाहरी इंटेलिजेंस एजेंसियों ने एसएसी पर कुछ असामान्य गतिविधि की जानकारी नहीं दी? क्या मिलिट्री इंटेलिजेंस ने सरकार को घुसपैठ और बड़ी संख्या में चीनी सैनिकों के आने को लेकर अलर्ट नहीं किया था? क्या सरकार की नजर में इटेंलिजेंस फेल हुआ है?
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सोनिया गांधी ने पीएम मोदी से सभी जानकारी साझा करने की अपील करते हुए पूछा कि सरकार आगे क्या करेगी? आगे क्या रास्ता बचा है? सोनिया गांधी ने कहा, ”पूरा देश भरोसा चाहता है कि सीमा पर यथास्थिति बहाल होगी और चीन एलएसी पर पुराने स्थान पर लौटे। किसी खतरे से निपटने के लिए हम तैयारी के बारे में भी जानना चाहेंगे। मैं यह जानना चाहती हूं कि माउंटेन स्ट्राइक कॉर्प्स की अभी क्या स्थिति है, जो 2013 में मंजूर हुआ था। क्या सरकार को इस पर सर्वोच्च प्राथमिकता नहीं देनी चाहिए।”