आश्वासन अभियान के तहत 1 करोड़ की हुई टीबी जांच, 68,000 से अधिक गांवों में घर-घर पहुंची थी जांच टीम

NEWSPR डेस्क। जनजातीय टीबी पहल के दायरे में भारत के 174 जनजातीय जिलों में टीबी के सक्रिय मामलों का पता लगाने के लिए आश्वासन अभियान चलाया। बता दें कि जनजातीय कार्य मंत्रालय तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के टीबी प्रभाग ने 24 अगस्त को राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान (एनटीआरआई), नई दिल्ली में ‘जनजातीय टीबी पहल’ के तहत 100 दिवसीय आश्वासन अभियान की विशेषताओं का प्रचार करने के लिए एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया।

‘जनजातीय टीबी पहल’ जनजातीय कार्य मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय के केंद्रीय टीबी प्रभाग की एक संयुक्त पहल है। जिसे यूएसएआईडी द्वारा एक तकनीकी भागीदार और पीरामल स्वास्थ्य द्वारा कार्यान्वयन भागीदार के रूप में समर्थन प्राप्त है। जनजातीय टीबी पहल के दायरे में भारत के 174 जनजातीय जिलों में टीबी के सक्रिय मामलों का पता लगाने के लिए आश्वासन अभियान इस वर्ष 7 जनवरी को शुरू किया गया था। इसे महाराष्ट्र के नंदुरबार जिले में झंडी दिखाकर शुरू किया गया था।

इस पहल के तहत 68,019 गांवों में टीबी की घर-घर जाकर जांच की गई। 1,03,07,200 व्यक्तियों की मौखिक जांच के आधार पर 3,82,811 लोगों में टीबी होने की पहचान की गई थी। इनमें से 2,79,329 (73 प्रतिशत) नमूनों की टीबी के लिए जांच की गई और 9,971 लोग टीबी के लिए पॉजिटिव पाए गए जिनका भारत सरकार के प्रोटोकॉल के अनुसार इलाज किया गया।

इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, जनजातीय कार्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव, डॉ. नवलजीत कपूर ने कहा कि आश्वासन अभियान लगभग 2 लाख सामुदायिक प्रभावशाली व्यक्तियों को एक मंच पर लाया है, जिन्होंने इस अभियान को सफल बनाने के लिए पूरे समर्पण भाव से भाग लिया। इनमें आदिवासी नेता, आदिवासी उपचारकर्ता, पीआरआई सदस्य, स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) और आदिवासी क्षेत्रों के युवा शामिल हैं, जो जांच (स्क्रीनिंग) प्रक्रिया और सामुदायिक जागरूकता के इस अभियान का हिस्सा थे।

उन्होंने पीरामल फाउंडेशन और यूएसएआईडी के प्रयासों की सराहना की, जिन्होंने केंद्रीय टीबी प्रभाग, राज्य टीबी अधिकारियों और जिला टीबी अधिकारियों के साथ मिलकर काम किया। उन्होंने यह भी कहा कि आंकड़े यह दर्शाते हैं कि आदिवासी समुदाय अन्य जनसंख्या समूहों की तुलना में श्वसन रोगों और टीबी के प्रति अधिक संवेदनशील हैं। उन्होंने राज्यों के सभी स्वास्थ्य विभागों से बुनियादी ढांचे के अंतर का विश्लेषण करने और राज्य के संबंधित जनजातीय कल्याण विभाग के माध्यम से स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और जनजातीय कार्य मंत्रालय से धन प्राप्त करने के लिए कहा।

विवेकानंद गिरी, डीडीजी केंद्रीय टीबी डिवीजन ने सीटीडी की जनजातीय टीबी पहल प्रस्तुत की। एडीजी डॉ. रघुराम राव ने कहा कि केंद्रीय टीबी प्रभाग टीबी से निपटने लिए जनजातीय समुदायों के साथ मिलकर काम करने का इच्छुक है। आश्वासन अभियान के माध्यम से जो डेटा सामने आया है, उसके साथ सीटीडी टीबी के प्रमुख केंद्रों का मानचित्रण करेगा और उसका शुरुआती बिंदु के रूप में उपयोग करेगा।

इस अवसर पर बोलते हुए, संगीता पटेल, निदेशक, स्वास्थ्य, यूएसएआईडी इंडिया ने जनजातीय कार्य मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय को आदिवासी समुदायों में टीबी से निपटने की उनकी प्रतिबद्धता के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह अतुल्य है जब आप यह सोचते हैं कि सामुदायिक स्तर पर काम कर रहे 2,200 से अधिक सदस्यों के साथ क्या हासिल किया गया है और आप 10 मिलियन लोगों तक पहुंचने में सक्षम थे और वहां से आपने 10,000 टीबी रोगियों की पहचान की है। मैं 75 टीबी मुक्त जनजातीय जिलों के लिए आपकी प्रतिबद्धता को देखकर खुश हूं, लेकिन हमें अन्य जनजातीय जिलों को भी पीछे नहीं छोड़ना है।

भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर , 75 अधिक बोझ वाले जनजातीय जिलों को आगामी महीनों में ध्यान केंद्रित करने के लिए चुना गया है। ऐसे 75 जिलों के लिए एक त्रिस्तरीय रणनीति प्रस्तुत की गई है।

indiaNewspr liveT.B