तीन नए आपराधिक कानून आज से लागू, एफआईआर दर्ज करने से लेकर फैसला सुनाने तक की समयसीमा तय: सुगम होगा न्याय

 

कैमूर,आज से भारत आपराधिक न्याय के एक नए युग की शुरुआत हो हो गई है। एक जुलाई से देश में आईपीसी, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह तीन नये कानून भारतीय न्याय संहिता भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनिमय लागू हो गये हैं। नए कानून से मुकदमे जल्दी निपटेंगे और तारीख पर तारीख के दिन अब लद जाएंगे।

आज से नये कानून में दर्ज होंगे अपराध-

नये कानून में तय समय सीमा में एफआइआर दर्ज करना अनिवार्यराजद्रोह की जगह देशद्रोह बना अपराध भगोड़े अपराधियों की संपत्ति होगी जब्त मॉब लिंचिंग के मामले में आजीवन कारावास या मौत कीसजा है। विधवत रूप से जिले के सभी थानों के कैंपस में टेंट पंडाल लगाकर प्रतिनिधियों तथा आम जनों को बुलाकर नए नियम कानून के बारे में जानकारियां दी गई। इसी कड़ी में भगवानपुर थाना क्षेत्र के लोगों को जानकारी देते हुए थाना अध्यक्ष उदय कुमार, वीडीयो भगवानपुर, अपर थाना अध्यक्ष प्रतिभा कुमारी, एस आई आनंद कुमार,एस आई विवेक कुमार, एस आई हरेंद्र पासवान व ASI नवीन कुमार सहित सभी पुलिस प्राधिकारी व कर्मी मौजूद रहे। पुलिस पदाधिकारी द्वारा बताया गया कि रविवार रात बारह बजे से यानी एक जुलाई की तारीख शुरू होने के बाद घटित हुए सभी अपराध नये कानून में दर्ज किये जाएंगे। एक जुलाई से देश में आईपीसी, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह तीन नये कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनिमय “लागू हो रहे हैं।

एक जुलाई से लागू हो रहे आपराधिक प्रक्रिया तय करने वाले तीन नये कानूनों में त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए एफआइआर से लेकर फैसले तक को समय सीमा में बांधा गया है। आपराधिक ट्रायल को गति देने के लिए नये कानून में 35 जगह टाइम लाइन जोड़ी गई है। शिकायत मिलने पर एफआइआर दर्ज करने, जांच पूरी करने, अदालत के संज्ञान लेने, दस्तावेज दाखिल करने और ट्रायल पूरा होने के बाद फैसला सुनाने तक की समय सीमा तय है।

नये कानून से मुकदमे जल्दी निपटेंगे साथ ही आधुनिक तकनीक का भरपूर इस्तेमाल और इलेक्ट्रानिक साक्ष्यों को कानून का हिस्सा बनाने से मुकदमों के जल्दी निपटारे का रास्ता आसान हुआ है। शिकायत, सम्मन और गवाही की प्रक्रिया में इलेक्ट्रानिक माध्यमों के इस्तेमाल से न्याय की रफ्तार तेज होगी। अगर कानून में तय समय सीमा को ठीक उसी मंशा से लागू किया गया जैसा कि कानून लाने का उद्देश्य है तो निश्चय ही नये कानून से मुकदमे जल्दी निपटेंगे और तारीख पर तारीख के दिन अब लद जाएंगे।”

तीन दिन के अंदर एफआइआर दर्ज करनी होगी-

आपराधिक मुकदमे की शुरुआत एफआइआर से होती है। नये कानून में तय समय सीमा में एफआइआर दर्ज करना और उसे अदालत तक पहुंचाना सुनिश्चित किया गया है। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) में व्यवस्था है कि शिकायत मिलने पर तीन दिन के अंदर एफआइआर दर्ज करनी होगी। तीन से सात साल की सजा के केस में 14 दिन में प्रारंभिक जांच पूरी करके एफआइआर दर्ज की जाएगी. 24 घंटे में तलाशी रिपोर्ट के बाद उसे न्यायालय के सामने रख दिया जाएगा।

नये कानून में आरोपपत्र की भी टाइम लाइन तय दुष्कर्म के मामले में सात दिन के भीतर पीड़िता की चिकित्सा रिपोर्ट पुलिस थाने और कोर्ट भेजी जाएगी। अभी तक लागू सीआरपीसी में इसकी कोई समय सीमा तय नहीं थी। नया कानून आने के बाद समय में पहली कटौती यहीं होगी। नये कानून में आरोपपत्र की भी टाइम लाइन तय है।

आरोपपत्र दाखिल करने के लिए पहले की तरह 60 और 90 दिन का समय तो है लेकिन 90 दिन के बाद जांच जारी रखने के लिए कोर्ट से इजाजत लेनी होगी और जांच को 180 दिन से ज्यादा लंबित नहीं रखा जा सकता। 180 दिन में आरोपपत्र दाखिल करना होगा। ऐसे में जांच चालू रहने के नाम पर आरोपपत्र को अनिश्चितकाल के लिए नहीं लटकाया जा सकता। वही इस मामले में पूर्व लोकसभा प्रत्याशी काराकट सह समाजसेवी धीरज कुमार सिंह ऊर्फ भांन जी सिंह ने बताया कि इस नए नियम के तहत पब्लिक पुलिस सामंजस्य से बैठेगी तथा अपराध पर लगाम होगा और कोर्ट कचहरी के चक्कर से निजात मिलेगी।