बिहार में सामने आया 20000 करोड़ का वित्तीय अनियमितता का मामला,कई विभागों द्वारा नहीं दिया उपयोगिता प्रमाणपत्र

NEWSPR डेस्क। बिहार में एक बार फिर काफी बड़ा वित्तीय अनियमितता का मामला सामने आया है जिसके मुताबिक 20000 करोड़ का उपयोगिता प्रमाणपत्र पेश नहीं किया गया है, मामले की गंभीरता को देखते हुए हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है. बिहार में सुशासन की सरकार है और नीतीश कुमार हमेशा भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टॉलरेंस की बात करते हैं लेकिन इन सब के बाद भी एक बार फिर बिहार में काफी हैरान करने वाला एक मामला सामने आया है.

दरसअल पिछले कई वित्तीय वर्षों में उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं प्रस्तुत नहीं किये जाने का मामला उजागर हुआ है. इस मामले में पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए बिहार के मुख्य सचिव को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है. राज्य सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं प्रस्तुत किए जाने के मामले पर शुक्रवार को पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए राज्य के मुख्य सचिव को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया.

रंजीत पंडित की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति संजय करोल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने शुक्रवार को इस मामले में सुनवाई की. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि वित्तीय वर्ष सन् 2002-03 से 2013 -14 तक बहुत सारे सरकारी विभागों ने तकरीबन 20 हज़ार करोड़ रुपये का उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं प्रस्तुत किया.

इसमें स्वास्थ, शहरी विकास विभाग, शिक्षा व अन्य कई विभागों द्वारा उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं प्रस्तुत किया गया है, इसमें में बड़े पैमाने पर धनराशि की अनियमितता बरतने का मामला है. इतनी लंबी अवधि में खर्च हुए धनराशि का रिकॉर्ड मिलना भी कठिन है. इस मामले पर अगली सुनवाई आगामी 12 जनवरी को की जाएगी.

अब तो समय ही बताएगा की आनेवाले 12 जनवरी को जब मुख्य सचिव हलफनामा दायर करेंगे और खर्च हुए रुपयों की फाईलों के बारे में जानकारी देंगे। वैसे तो बिहार के चुहे इन मामलों में काफी बदनाम रहे हैं हर बार तरह कहीं इस बार भी सारा इलजाम इन बेचारों पर न लग जाये।

पटना से विक्रांत के साथ सुरजीत की रिपोर्ट

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