सिपाही बनने से पहले ही चले गए जेल 21 अभ्यर्थी, लिखित परीक्षा में किया था फर्जीवाड़ा

NEWSPR डेस्क। सिपाही बनने से पहले 21 अभ्यर्थियों को बुधवार को गर्दनीबाग पुलिस ने पटना हाईस्कूल में चल रही शारीरिक दक्षता परीक्षा के दौरान गिरफ्तार किया। इन अभ्यर्थियों ने लिखित परीक्षा में अपने स्थान पर सॉल्वरों को बिठाया था। जब इनके चेहरे और फिंगर प्रिंट का मिलान नहीं हो पाया तब इनसे पूछताछ की गई। थोड़ी सख्ती बरतने के बाद अभ्यर्थियों ने स्वीकार कर लिया कि इन लोगों ने मोटी रकम देकर अपने जगह सॉल्वरों को बिठाया था। थानेदार अरुण कुमार ने कहा कि इनसे पूछताछ की जा रही है। सभी ने लिखित परीक्षा में फर्जीवाड़ा किया था।

27 नवंबर से पटना हाई स्कूल में शारीरिक दक्षता परीक्षा चल रहा है। इसी दौरान ये फर्जी अभ्यर्थी पकड़े जा रहे हैं। मामले में गर्दनीबाग थाने में केंद्रीय चयन पर्षद की तरफ से अब तक आठ एफआईआर दर्ज कराई गई हैं। इस दौरान फर्जीवाड़ा करने वाले 125 अभ्यर्थियों को गिरफ्तार किया गया है।

50 अभ्यर्थियों के साथ दो दलालों को भेजा गया जेल
इधर मंगलवार को गिरफ्तार 50 अभ्यर्थी और दो दलालों को पूछताछ के बाद बुधवार को जेल भेज दिया गया। अभ्यर्थियों ने सॉल्वरों के बारे में पुलिस को जानकारी दी वहीं दलालों से गिरोह के बारे में पुलिस जानकारी ली है। दलालों ने पुलिस को बताया कि पूरा फर्जीवाड़ा गिरोह कैसे करता है।

परीक्षा केंद्रों को भी मैनेज करते हैं शातिर
बुद्धा काॅलोनी थाने में दर्ज ऐसे ही एक मामले में गिरफ्तार सॉल्वरों ने खुलासा किया था कि वे सिपाही अभ्यर्थियों से तीन से चार लाख रुपए लेते हैं। आधी रकम और मूल शैक्षणिक प्रमाण पत्र वे पहले ले लेते हैं और लिखित परीक्षा का परिणाम आने के बाद शेष रकम लेकर प्रमाण पत्र अभ्यर्थी को लौटा देते हैं। शातिरों ने कहा था कि वे परीक्षा केंद्रों को भी मैनेज करते हैं। जांच में जुटी पुलिस बताई कि मामले में अभ्यर्थियों से पूछताछ कर सॉल्वरों की सूचि बनाई जा रही है।

एक साल में करोड़ों का ट्रांजेक्शन, 100 से अधिक को दिलवा चुके हैं नौकरी
सिपाही बहाली में फर्जीवाड़ा के मामले में बुद्धा कॉलोनी थाने में दर्ज मामले की चार्जशीट के मुताबिक गिरोह का सरगना अतुल वत्स है। 8 अगस्त को पुलिस ने अतुल के दाहिना हाथ उज्ज्वल कश्यप, रामेश कुमार, नीतेश कुमार, सौरभ कुमार, रोहित कुमार और प्रशांत कुमार को गिरफ्तार किया था।

उज्ज्वल खुद एनआईटी भोपाल से पासआउट है और अतुल के साथ मिलकर फर्जीवाड़ा करता है। जांच में यह बात आई कि गिरफ्त में आया रोहित कुमार आईआईटी खड़गपुर का छात्र है, रामेश उर्फ बाबू एनआईटी से पटना से बीटेक कर चुका है। दोनों अतुल और उज्ज्वल के लिए सॉल्वर का काम करते हैं। उसे एक लिखित परीक्षा में बैठने के लिए दो से तीन लाख रुपए तक दिए जाते थे। वहीं भागलपुर से बीटेक कर चुका प्रशांत, एनआईटी का छात्र रह चुका रमेश, मैनेजमेंट की पढ़ाई कर चुका नीतेश और सौरभ भी गिरोह के लिए काम करता था।

जांच पर सवाल : सॉल्वर उपलब्ध कराने वाले से पूछताछ नहीं
जांच रिपोर्ट के मुताबिक शातिरों ने फर्जीवाड़ा एक साल में करोड़ों की उगाही की है। उज्जवल के चार बैंक खातों का डिटेल पुलिस को मिला जिसमें एक साल में 70 लाख से अधिक के ट्रांजेक्शन की बात सामने आई है। वहीं नितेश, शशि रंजन के खाते से भी लाखों का ट्रांजेक्शन हुआ है। शातिरों ने स्वीकारा कि अतुल के गिरोह ने एक साल में 100 से अधिक लोगों को सरकारी नौकरी लगवा चुका है।

शातिरों की गिरफ्तारी के बाद 100 से अधिक छात्रों का मूल शैक्षणिक प्रमाण पत्र सहित अन्य डॉक्यूमेंट मिले। पुलिस बीते चार महीने में एक भी अभ्यर्थी से पूछताछ नहीं कर पाई। पुलिस अब तक गिरोह के सरगना अतुल वत्स के खिलाफ कुर्की वारंट के लिए भी आवेदन नहीं दी है। एएसपी के पर्यवेक्षण रिपोर्ट में यह आदेश दिया गया था कि गिरोह के अन्य शातिरों का पता लगाएं और उनके खिलाफ साक्ष्य एकत्र करें।

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