कोरोना काल के 2 साल के बाद इस साल खुले चाक के कलाकारों के हाथ, लेकिन आर्थिक स्थिति जस की तस

NEWSPR डेस्क। गया के डेल्हा के धनिया बगीचा मोहल्ले में कुम्हार समाज के कई लोग दीये बनाने में जुटे हुए हैं. इस इलाके में रहने वाले चाक के कलाकार के द्वारा प्रतिदिन एक लाख दीये बनाए जा रहे हैं. इस बार डिमांड काफी है, तो दीये बनाने के इन कलाकारों में उत्साह भी देखा जा रहा है. यह बताते हैं कि 2 सालों में कोरोना काल के कारण जो नुकसान हुआ, उसकी भारपाई इस साल हो जाएगी। गया जिले में पारंपरिक चौक के अलावे इलेक्ट्रिक चॉक भी चलाए जा रहे हैं परंपरिक चॉक में जहां काफी मेहनत होती है वही इलेक्ट्रॉनिक चौक में मेहनत कम होती है लेकिन बिजली बिल ज्यादा आने का कारण कमाई कम हो जाती है यही वजह है कि इलेक्ट्रिक चॉक का प्रयोग गिने-चुने लोग ही करते हैं ।

चाक चला रहे आनंद प्रजापति बताते हैं कि इस व्यवसाय से हुआ है 29 सालों से जुड़े हुए हैं लेकिन आज तक आर्थिक रूप से मजबूत नहीं हो पाए हैं उनकी आर्थिक स्थिति जस की तस है बस किसी तरह इस रोजगार के सहारे चल पाता है,दीया बनाने का परंपरिक पेसा धीरे-धीरे कम होने लगा है हालांकि इसकी डिमांड आज भी है किंतु कम आमदानी के कारण कुम्हार समाज के लोग अभी प्रोसेस से दूर होने लगे हैं यही वजह है कि जहां यह क्षेत्र में एक सौ घरों में कभी दीया और अन्य मिट्टी के सामान बनाए जाते थे अब वह 50 परिवार हुई घरों के परिवार ही इस धंधे से जुड़े हुए हैं यह बताते हैं कि चाइनीस लाइट के कारण उनका व्यवसाय प्रभावित होता है महंगाई बढ़ने के साथ रेट कम हो गई है, चाइनीज लाइट से दीया कुछ न कुछ जल उठते हैं।

After 2 years of the Corona periodbut the economic situation remains the same.Gaya NewsGAYA UPDATE NEWSthe hands of the artists of the chalk opened this year