Apple का अभागा को-फाउंडर… रद्दी के भाव बेच दी थी 10% हिस्सेदारी

आईपैड और आईफोन बनाने वाली अमेरिका की दिग्गज कंपनी ऐपल आज दुनिया की दूसरी सबसे वैल्युएबल कंपनी है। बता दे एप्पल का मार्केट कैंप 2831 ट्रिलियन डॉलर है जो ब्राजील इटली कनाडा जैसे कई देशों की जीडीपी से अधिक है अगर किसी के पास इसके एक परसेंट शेयर भी है तो वह 28.3 अरब डॉलर का मालिक है। मुझे आपको बता दे कि कैसा भी शख्स था जिसके पास इस कंपनी की 10% अगर उसने कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बरकरार रखी होती तो वह आज दुनिया का सबसे अमीर शख्स होता। लेकिन उसे शख्स ने इस कंपनी की हिस्सेदारी सिर्फ $800 में भेज दी थी इस तक का नाम रोनाल्ड वेन है। वह एप्पल की तीन को फाउंडर में से एक है मगर उनके बारे में एक काम की लोगों को जानकारी है वह ने स्टीव जॉब्स और स्टीव वोजनीक के साथ मिलकर एप्पल बनाई थी तब बेन को कंपनी में 10% की हिस्सेदारी मिली थी।

हैरानी की बात है कि वेन को अपने फैसले पर कोई अफसोस नहीं है। उन्होंने कुछ साल पहले बिजनस इनसाइडर से एक इंटरव्यू में यह बात कही थी। उनका कहना था कि ऐपल में उनके लिए कोई खास संभावनाएं नहीं थी। उन्होंने कहा, ‘अगले 20 साल में डॉक्यूमेंटेशन डिपार्टमेंट में पेपर्स देखते रहता। मैं 40 साल से ऊपर का था और वे 20-22 साल के थे। मेरे लिए यह शेर की पूंछ जैसी थी। अगर में ऐपल में टिका रहता तो दुनिया के सबसे अमीर लोगों में मेरा नाम होता।’
मगर उन्हें एक बात का मलाल जरूर है। वेन ने 1976 के ओरिजिनल कॉन्ट्रैक्ट को कई साल तक सहेज कर रखा और फिर 1990 की शुरुआत में इसे 500 डॉलर में बेच दिया। उन्होंने कहा, ‘ऐपल का कॉन्ट्रैक्ट मेरी अलमारी में पड़ा धूल फांक रहा था। मैंने सोचा कि मैं इसका क्या करूंगा।’ साल 2011 में यह कॉन्ट्रैक्ट एक नीलामी में 15.9 लाख डॉलर में बिका। यानी वेन ने दूसरी बार ऐपल से पैसा कमाने का मौका गंवा दिया। जॉब्स और वॉज्नियाक ने एक साल तक वेन का बनाया लोगो चलाया और फिर कटा हुआ सेब कंपनी का लोगो बनाया गया। इसमें समय-समय पर बदलाव किए गए। आज माइक्रोसॉफ्ट के बाद ऐपल दुनिया की दूसरी सबसे वैल्यूबल कंपनी है।

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