दिवाली से पहले रूप बदलकर आया कोरोना, BQ.1 कितना खतरनाक, जानिए

NEWSPR डेस्क। नई दिल्ली कोरोना वायरस जिसको लेकर भारत समेत दुनिया के कई देशों में कहा जा रहा था कि अब इसका प्रभाव कम हो गया है और खतरा टल गया है, वह खतरा टला नहीं है। दिवाली से पहले ऐसी खबर आई जिससे टेंशन बढ़ गई है। कई देशों में कोरोना के मामले एक बार फिर बढ़ रहे हैं और इसके पीछे वजह है कोरोना का नया वेरिएंट। कोरोना के ओमीक्रोन वेरिएंट के कुछ सब वेरिएंट पाए गए हैं जिससे कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ रही है। टेंशन की बात यह है कि इस सब वेरिएंट की भारत में भी एंट्री हो चुकी है। दिवाली से पहले इस वेरिएंट के आने से ऐसी आशंका व्यक्त की जा रही है कि कोरोना की एक नई लहर देखने को मिल सकती है।

दिवाली से पहले कोरोना के नए वेरिएंट की भारत में एंट्री से टेंशन थोड़ी बढ़ गई है। सोमवार को पुणे में ओमीक्रोन वेरिएंट के सब वेरिएंट BQ.1 का मामला सामने आया है। इससे पहले गुजरात में BF.7 वेरिएंट मिला था। वैज्ञानिकों का कहना है कि BQ.1 और BF.7 दोनों में म्यूटेशन होता है जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को कम कर सकता है। BA.5 भारत में कोविड के 5% से कम मामलों के लिए वहीं Omicron के अन्य वेरिएंट BA.2 और इसके सब वेरिएंट से BA.2.75 की वजह से कोरोना के मामले कहीं अधिक बढ़े।

BQ.1 वेरिएंट के मामले पहले ही यूके, जर्मनी और यूएस सहित कुछ देशों में आने लगे हैं। यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के अनुसार कोरोना के मामलों में BQ.1 और BQ.1.1 वेरिएंट के 11% केस थे। जबकि एक महीने पहले ही ऐसे मामलों की संख्या केवल 1 प्रतिशत थी। BQ.1 और BQ.1.1 दोनों BA.5 ओमीक्रोन के ही सब वेरिएंट हैं। अमेरिका में बढ़ते मामलों के पीछे यही सब वेरिएंट कारण है। वैज्ञानिकों ने बताया कि भारत के पुणे के नमूने में BQ.1 का पता अक्टूबर में जीनोम सिक्वेंसिंग के दौरान पता चला। देश में जीनोम सिक्वेंसिंग से जुड़े एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बताया कि भारत में बीक्यू.1 का यह पहला मामला है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) के एक वैज्ञानिक ने बताया कि यह ओमीक्रोन वेरिएंट का ही सब वेरिएंट है। इस साल जनवरी में ओमीक्रोन का पता लगने के बाद पूरी तरह से कोविड का कोई नया वेरिएंट सामने नहीं आया है। हालांकि इन सब वेरिएंट की वजह से भी कोरोना के मामले बढ़ सकते हैं। इसलिए इनकी अनदेखी नहीं की जा सकती है।

ओमीक्रोन के यह दो नए सब-वेरिएंट को लेकर विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इनमें तेजी से फैलने की पूरी क्षमता है और दिवाली तक कोरोना के मामले काफी तेजी से बढ़ सकते हैं। विशेषज्ञों की मानें तो अगले कुछ दिनों को महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि दिवाली के आसपास लोगों की भीड़ एक साथ जुट रही है जिससे संक्रमण अधिक फैलने की आशंका है। नए वेरिएंट के मामले को देखते महाराष्ट्र राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने लोगों को सतर्क किया है। इसके साथ ही लोगों को सावधानी बरतने की अपील भी की है। राज्य स्वास्थ्य विभाग के सर्विलांस अधिकारी ने बताया कि नए सब वेरिएंट के केस पाए जाने के बाद सभी जिलों को अलर्ट कर दिया गया है।

हाल ही में एक स्टडी के अनुसार ओमीक्रोन के BA 2.75.2 वेरिएंट ब्लड में मौजूद एंटीबॉडी से खत्म नहीं होता है और कोविड-19 एंटीबॉडी संबंधी इलाज का भी इस पर असर नहीं होता है। यह स्टडी लैंसेट में प्रकाशित हुई है। स्वीडन के कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट के एक्सपर्ट के अनुसार सर्दी के मौसम में सार्स-कोव-2 स्वरूप से संक्रमण के बढ़ने का जोखिम है। सार्स-कोव-2 वायरस स्पाइक प्रोटीन के जरिए मानव कोशिकाओं में प्रवेश करता है और उन्हें संक्रमित कर देता है। स्टडी के अनुसार स्टॉकहोम में 75 ब्लड सैंपल में मौजूद एंटीबॉडी बीए.2.75.2 को बेअसर करने में सिर्फ छठे हिस्से में ही प्रभावी थे। ये नमूने तीन अलग-अलग समय पर लिए गए थे।

ऐसे बरतें सावधानी :

फ्लू के लक्षण दिखाई पड़े तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

भीड़भाड़ इलाकों में मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग का कड़ाई से पालन करें।

सर्दी-खांसी जिन लोगों को है वह सार्वजनिक जगहों पर जाने से परहेज करें।

को-मॉर्बिड मरीज अपनी सेहत को लेकर अधिक सावधानी बरतें।

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