बिहार के 50-60 फीसदी शिक्षक फर्जी हैं ? समय सीमा खत्म होने के बाद भी ‘पोर्टल’ पर नहीं अपलोड हुआ फोल्डर, 9 जून को ACS ने बुलाई मीटिंग

चाहें राज्य कोई भी हो, ज़ब वहां किसी शिक्षक के नियोजन की बात होती है तो नियम ये हैं की सारे शिक्षकों के प्रमाण पत्र को वेब पोर्टल पर अपलोड करना होता है l
बिहार में नियोजित शिक्षकों के प्रमाण पत्र का फोल्डर समय सीमा बीतने के बाद भी वेब पोर्टल पर अपलोड नहीं किया गया है। इससे अब यह प्रमाणित होने लगा है कि 2005 से 2016 यानि 11 वर्षों के बीच शिक्षक नियोजन में भारी पैमाने पर फर्जीवाड़ा किया गया। पोल खुलने की डर से शिक्षकों का प्रमाण पत्र को वेब पोर्टल पर अपलोड़ नहीं किया जा रहा ताकि किसी को सच्चाई का पता हीं नहीं चले । सूबे के कई जिलों में 40 से 50 प्रतिशत शिक्षकों के फोल्डर अपलोड नहीं किये गए है।

प्राथमिक शिक्षा निदेशक डॉ रंजीत कुमार सिंह ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी और डीपीओ स्थापना को पत्र लिखा है जिसमें ये कहा गया है कि पंचायती राज संस्थान एवं नगर निकाय के अंतर्गत 2006 से लेकर 2015 तक बहाल शिक्षकों के प्रमाण पत्र की निगरानी विभाग द्वारा जांच चल रही है। 31 मई 2021 तक शिक्षकों के प्रमाण पत्र को शिक्षा विभाग द्वारा तैयार किए गए वेब पोर्टल पर अपलोड करना था l लेकिन अभी तक का जो रिपोर्ट है उसमें कई जिलों द्वारा सिर्फ 40-50 फ़ीसदी ही फोल्डर अपलोड किया गया है l यह बहुत ही गंभीर स्थिति है और विभागीय कार्य के प्रति उदासीनता का फल भी है l

 

ACS ने 9 जून को बुलाई मीटिंग

प्राथमिक शिक्षा निदेशक यानि डॉ रंजीत सिंह ने सभी जिलों के डीईओ और डीपीओ को आदेश दिया है कि आठ जून तक काम पूरा कर लें। 9 जून को अपर मुख्य सचिव शिक्षा विभाग की अध्यक्षता में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में बैठक में भी भाग लें। इसके साथ ही जिन जिलों द्वारा कार्य पूर्ण कर लिया गया है उनके द्वारा प्रमाण पत्र निदेशालय को उपलब्ध कराई जाए कि मेरे जिला में वेब पोर्टल पर अपलोड करने का कार्य पूर्ण कर लिया गया है और एक भी फोल्डर लंबित नहीं है l

 

पूरा मामला जानिए

शिक्षक नियोजन में फर्जीवाड़ा की शिकायत के बाद पटना हाईकोर्ट के आदेश पर शिक्षकों के प्रमाण-पत्रों की निगरानी ब्यूरो द्वारा जांच चल रही है। एक लाख से अधिक शिक्षकों का फोल्डर निगरानी विभाग को उपलब्ध नहीं कराया जा सका है। शिक्षा के तमाम आदेश के बाद भी नियोजन इकाई शिक्षकों के फोल्डर जांच के लिए नहीं दिया। इसके बाद शिक्षा विभाग ने नया आदेश निकाला। इसके लिए एक वेब पोर्टल बनाया गया है। शिक्षा विभाग ने आदेश दिया कि सभी शिक्षकों के प्रमाण पत्र वेब पोर्टल पर अपलोड किया जाए। लेकिन समय सीमा खत्म होने के बाद भी अब तक महज 40-50 फीसदी शिक्षकों के प्रमाण पत्र का फोल्डर हीं अपलोड हुआ है। ऐसे में अब यह आशंका है कि जिन शिक्षकों के प्रमाण पत्र का फोल्डर अपलोड नहीं किया गया कहीं वे फर्जी शिक्षक तो नहीं या उनके नियोजन में किसी तरिके का फर्जीवाड़ा तो नहीं हुआ है ?

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