तीरथ रावत का इस्तीफा बहाना है .. ममता बनर्जी निशाना हैं ? खेला होबे !!

NEWSPR/DESK : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री को डर सताने लगा है, कि क्या अब उन्हें अपने सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ेगा ? इस सवाल के पीछे बीजेपी की एक सोची-समझी रणनीति है, जिसके तहत पार्टी ने अपने उत्तराखंड के सीएम तीरथ रावत को मुख्यमंत्री पद से हटाया है, क्योंकि वो विधायक नहीं हैं। तीरथ सिंह जैसी स्थिति ही ममता बनर्जी की भी है क्योंकि ममता बनर्जी भी विधायक नहीं हैं, उन्हें नंदीग्राम से बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी ने कभी न भूल पाने वाली शिकस्त दी है। कोरोना के कारण ही उत्तराखंड में उपचुनाव नहीं हो सके, और वही स्थिति फ़िलहाल ममता बनर्जी के सामने भी है। ऐसे में यदि ममता बनर्जी शपथ लेने के 6 माह के भीतर विधायक नहीं बनती तो उनकी हालत भी तीरथ सिंह रावत जैसी ही हो जाएगी।

संविधानिक संकट का दिया गया है हवाला

उत्तराखंड को पिछले तीन महीनों में तीन मुख्यमंत्री मिल चुके हैं, त्रिवेन्द्र सिंह रावत, तीरथ सिंह रावत के बाद अब ये पद पार्टी के विधायक पुष्कर सिंह धामी को मिला है। बीजेपी का तर्क है कि तीरथ सिंह को हटाने के पीछे कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं था, बल्कि एक संवैधानिक संकट था। इस पूरे प्रकरण के लिए बीजेपी का कहना है कि सांसद से सीएम बने तीरथ सिंह रावत को 6 महीने के अंदर विधायक बनने के लिए उपचुनाव लड़ना था, लेकिन कोरोनावायरस के कारण फिलहाल उपचुनावों का होना असंभव है। इसीलिए संवैधानिक संकट से बचने के लिए तीरथ सिंह रावत को हटाकर पद पुष्कर सिंह धामी को दिया गया है।

ममता हार गयी थीं नंदीग्राम वाली सीट
वहीं, बीजेपी ने उत्तराखंड के अपने सीएम को हटाकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए कुछ महत्वपूर्ण सवाल खड़े कर दिए हैं, कि ममता बनर्जी को भी अपने सीएम पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। इसकी मुख्य वजह ये है कि ममता बनर्जी विधानसभा चुनाव के दौरान नंदीग्राम सीट से बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी से बड़े अंतर से हार गई थीं। पार्टी के बहुमत के कारण उन्हें सीएम बनने में कोई दिक्कत नहीं हुई, लेकिन अब ममता दीदी के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। उन्हें भी शपथ लेने के बाद यानी मध्य अक्टूबर तक विधायकी जीतनी होगी।

बढ़ सकती है मुसीबतें
ममता के लिए विधायक पद हासिल करना टेढ़ी खीर बनता जा रहा है, ठीक उत्तराखंड की तरह ही उपचुनावों को लेकर संशय बना हुआ है। कोरोनावायरस के कारण फिलहाल अभी निर्वाचन आयोग का उपचुनावों का आयोजन करने का कोई रुख स्पष्ट नहीं है। ऐसे में यदि मध्य अक्टूबर से पहले उपचुनाव नहीं होते तो ममता बनर्जी की मुसीबतें बढ़ सकती हैं, और उन्हें भी उत्तराखंड के सीएम तीरथ सिंह रावत की तरह ही अपना इस्तीफा देना पड़ सकता है, जो कि उनके लिए एक तगड़ा झटक साबित होने वाला है।ऐसे में उत्तराखंड का प्रकरण बीजेपी की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा प्रतीत हो रही है, क्योंकि बीजेपी ममता पर सवाल उठाने से पहले अपने उत्तराखंड का मुद्दा मजबूत कर लेना चाहती थी, और वो पार्टी ने विधायक पुष्कर सिंह धामी क़ो सीएम बनाकर कर भी लिया है। ऐसे में अब जैसे-जैसे अक्टूबर नजदीक आता जाएगा, ममता बनर्जी की कुर्सी को लेकर बीजेपी के हमले बढ़ते जाएंगे ।