किसान संगठनों के आह्वान पर 25 सितंबर को आयोजित भारत बंद में मजबूती से उतरेगा माले.

Patna Desk

NEWSPR डेस्क।  तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों के संयुक्त आह्वान पर आगामी 25 सितंबर को आहूत भारत बंद को सफल बनाने में भाकपा-माले पूरी मजबूती से उतरेगा. साथ ही, केंद्र सरकार द्वारा विगत 70 सालों में सृजित व निर्मित की गई राष्ट्रीय संपत्तियों को बेचने का मुद्दा भी बंद का प्रमुख मुद्दा होगा. बिहार में महागठबंधन के दलों से बातचीत की प्रक्रिया आरंभ हो गई है. हमारी कोशिश होगी कि इन दोनों मुद्दों पर बिहार में बंद को असरदार बनाया जाए.

उक्त बातें आज पटना में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए माले महासचिव काॅ. दीपंकर भट्टाचार्य ने कही. संवाददाता सम्मेलन में माले राज्य सचिव कुणाल, पोलित ब्यूरो के सदस्य धीरेन्द्र झा व अमर भी शामिल थे।

देश की जनता को गुमराह करने के लिए देश की संपत्तियों को बेचने व निजीकरण के कार्यक्रम का नाम रखा है – माॅनिटाइजेशन. सरकार कह रही है कि संपत्ति बेची नहीं जा रही है बल्कि किराए पर लगाई जा रही है और इससे अगले 4 साल में 6 लाख करोड़ रु. का राजस्व मिलेगा.

लेकिन यह बहुत खतरनाक प्रस्ताव है. देश की तमाम सड़कें, रेल लाइन, स्टेडियम, रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट सरीखी राष्ट्रीय संपत्ति का निर्माण देश की जनता के पैसे से हुआ है. अब सरकार उसी को बेचकर या किराया लगाकर देश चलाना चाहती है. आखिर इन संपत्तियों के किराएदार कौन हैं? अंबानी-अडानी जैसे काॅरपोरेट ही किराएदार हैं, जिनसे सरकार की गहरी दोस्ती है. यदि किराएदार के पक्ष में किराया तय कर दिया जाए, तो इससे देश को केवल नुकसान ही नुकसान होगा. दरअसल, किराया पर लगाने का मतलब इन संपत्तियों को बेच डालना ही है. बिहार में भी पटना जंक्शन, एयरपोर्ट, सड़कें आदि बेचने की एक सूची जारी हुई है.

दूसरी बात, इस कदम से करोड़ों छोटे कारोबारियों के रोजगार मारे जाएंगे. सड़कों, हाइवे अथवा रेलवे स्टेशनों के दोनों तरफ छोटे-छोटे करोड़ों रोजगार हैं. इन संपत्तियों को किराया पर दे देने के बाद ये रोजगार खत्म हो जाएंगे. यह पूरा प्रयास आम लोगों के खिलाफ है. इसलिए, आम लोगों के रोजगार व देश की आर्थिक व्यवस्था की सुरक्षा के लिए इस पर रोक लगनी चाहिए. इस नेशनल माॅनिटाइजेशन पाइप लाइन मतलब देश को बेचने का पाइप लाइन को बंद करना बेहद जरूरी है. इसके खिलाफ ही 25 सितंबर को भारत बंद होगा.

संपूर्ण उत्तर बिहार सहित गंगा-सोन-पुनपुन के किनारे बाढ़ ने भारी तबाही मचा रखी है. किसानों को फसल क्षति का मुआवजा मिलना चाहिए. मक्के की फसल बर्बाद हो गई, लेकिन सरकार फसल क्षति शून्य दिखला रही है. बाढ़ पीड़ितों के प्रति सरकार का जो रवैया है, उसके खिलाफ जनता में व्यापक आक्रोश है. यदि जनता और आक्रोशित होती है तो इसके लिए पूरी तरह सरकार जिम्मेवार है. नीतीश कुमार की सरकार पटना के 5 किलोमीटर के दायरे की सरकार बन कर रह गई है. इसके खिलाफ दरभंगा सहित पूरे राज्य में माले, खेग्रामस का आंदेालन चल रहा है.

29 सितंबर को जिउतिया पर्व को देखते हुए राज्य चुनाव आयोग से अपील की है कि उस दिन चुनाव न कराए.

12 सितंबर को काॅ. बीबी पांडेय की याद में संकल्प सभा आयोजित की जाएगी.

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