परिजनों ने मृत समझकर कर दिया था अंतिम संस्कार, सिर भी मुंडवा लिए, 10 दिन बाद शख्स जिंदा लौटा घर

Patna Desk

राजस्थान के जोधपुर शहर के राजसमंद से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जहां पर 10 दिन पहले एक शख्स मर चुका था और परिजनों ने उसका अंतिम संस्कार तक कर दिया था लेकिन वो अचानक घर लौटकर आ गया. मृत शख्स को जिंदा देखकर परिवार के लोग चौंक गए. भाई और बच्चों ने तो सिर भी मुंडवा लिए थे और घर पर 9 दिन से गम का माहौल भी था.

मृत समझकर अंतिम संस्कार कर दिया, शख्स जिंदा निकला

ऐसे में हर किसी के मन में ये सवाल उठना शुरू हुआ कि जिस शख्स को मृत समझकर उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया, वो आखिर जिंदा कैसे बच आया और जिसका अंतिम संस्कार किया गया वो कौन शख्स कौन था. शव का न तो पोस्टमार्टम हुआ और न ही विसरा रिपोर्ट ली. इसमें कांकरोली पुलिस और आरके अस्पताल प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आई है. जिसने हर किसी को हैरान कर दिया.

मृत समझकर अंतिम संस्कार कर दिया, शख्स जिंदा निकला

जानकारी के मुताबिक 11 मई को मोही रोड पर एक अज्ञात व्यक्ति का शव मिला, उसे 108 एंबुलेंस से आरके जिला चिकित्सालय पहुंचाया गया. फिर जिला अस्पताल प्रशासन ने कांकरोली पुलिस को पत्र भेजकर शव की पहचान के लिए कहा. पुलिस ने पहचान के प्रयास किए पर कुछ पता नहीं चल सका. लेकिन 15 मई को हेड कांस्टेबल मोहनलाल अस्पताल पहुंचे, जहां सोशल मीडिया पर वायरल फोटो के आधार पर पुलिस ने कांकरोली निवासी ओंकारलाल गाडोलिया लोहार के भाई नानालाल व परिजनों को बुला लिया.

मृत समझकर अंतिम संस्कार कर दिया, शख्स जिंदा निकला

नानालाल ने पुलिस को बताया कि उसके भाई ओंकारलाल के दाएं हाथ में कलाई से लेकर कोहनी तक लंबा चोट का निशान है और बाएं हाथ की दो उंगलिया मुड़ी हुई हैं. इसके बाद अस्पताल प्रशासन और पुलिस ने तीन दिन पुराना और डीफ्रिज हो रहे शव का हवाला देकर हाथ के निशान मिटने की बात कहकर परिवार को अनजान शख्स के शव को सौंप दिया.

मृत समझकर अंतिम संस्कार कर दिया, शख्स जिंदा निकला

इसके बाद पुलिस और अस्पताल प्रशासन ने बिना पोस्टमार्टम करवाए ही पंचनामा बनाकर शव को दे दिया. परिजनों ने ओंकारलाल गाडोलिया लोहार समझकर अंतिम संस्कार भी कर दिया. पिछले 10 दिनों से परिवार में गम का माहौल था पर रविवार शाम ओंकारलाल घर लौट आया, तो परिजन चौंक गए.

मृत समझकर अंतिम संस्कार कर दिया, शख्स जिंदा निकला

ओंकारलाल ने बताया कि 11 मई को परिजनों को बताए बिना वो उदयपुर गया था. तबीयत खराब होने पर उदयपुर अस्पताल में भर्ती हो गया, जहां चार दिन बाद छुट्टी दी गई. जब वो रविवार को घर लौटा तो देखा कि उसकी फोटो पर माला चढ़ी है और भाई व बच्चों ने सिर मुंडवाया हुआ है.

मृत समझकर अंतिम संस्कार कर दिया, शख्स जिंदा निकला

ऐसे में सवाल उठ रहा है कि जिस शख्स का अंतिम संस्कार किया गया वो कौन था. क्योंकि उस शव का न तो पोस्टमार्टम हुआ और न ही विसरा रिपोर्ट ली गई. ऐसे में पुलिस कैसे पता करेगी कि जिस व्यक्ति का अंतिम संस्कार किया गया वो कौन था. अब अस्पताल के साथ ही साथ पुलिस सिस्टम पर भी गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं.

Share This Article