ये कैसी खरीद! पहली लहर में खरीदी 7 एंबुलेंस दूसरी लहर बीतने के बाद भी एक भी मरीज के काम न आईं

सीवान में कोरोना मरीजों की सहूलियत के नाम पर नियम को दरकिनार कर एम्बुलेंस खरीदी गईं. नियम है कि 5 लाख से अधिक की खरीद जेम पोर्टल के जरिए होगी. लेकिन सीवान में 21.84 लाख रु. के एम्बुलेंस ओपन टेंडर से खरीदे गए. एक नहीं, सात. इनमें पांच की खरीद मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास मद से हुई. खरीदारी में कोई अड़चन न आए इसके लिए एक ‘नोटशीट’ तैयार की गई कि जेम पोर्टल पर उस मानक व सुविधा वालें एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं हैं और कोरोनाकाल की तत्काल जरूरत को देखते हुए ओपन टेंडर की यह प्रक्रिया अपनाई जा रही है.

आपतो बता दें कि सभी एम्बुलेंस सितंबर में पहली लहर के दौरान खरदी गई, लेकिन दूसरी लहर तक एक भी दिन इनका इस्तेमाल नहीं हुआ. वजह, ड्राइवर व स्टाफ की कमी बताई जा रही. चौंकाने वाली बात यह है कि 7 एम्बुलेंस को ‘एम्बुलेंस’ में कन्वर्ट करने के लिए एक-एक पर 7.96 लाख रु. खर्च किए गए. जबकि करीब 4 लाख की इको कार को मारुति एम्बुलेंस के रूप में लगभग 7 लाख में बेचता है.

इस पूरे मामले पर जब सिवान के डीएम अमित कुमार पांडेय से बात की गई तो जवाब मिला ये.

जेम पोर्टल से खरीद क्यों नहीं की?
कोविड के दौर में तत्काल जरूरत पड़ी तो पहले जेम पोर्टल पर ही प्रयास किया गया. वहां नहीं मिला, तब ओपन टेंडर किया गया?

जेम पर न मिलने का प्रमाण है?
जेम पोर्टल पर उन सुविधाओं के साथ एम्बुलेंस न मिलने का नोट फाइल में है. हालांकि आप जेम पोर्टल की जिस रिपोर्ट की बात कर रहे, वह है या नहीं- जांच कराएंगे.

एम्बुलेंस के दाम 7 लाख लिए गए तो फिर इसे एम्बुलेंस के रूप में तैयार करने के लिए फ्रैब्रिकेशन-इंस्टालेशन पर 6.72 लाख अलग से खर्च कैसे?
यह जांच का विषय है कि एम्बुलेंस को एम्बुलेंस बनाए जाने के लिए लगभग उतनी ही राशि खर्च कैसे. जांच दल इसपर ध्यान देगा.

फिर ड्राइवर और पेशेंट एरिया के एयर टाइट फोल्डेबल पार्टिशन के लिए अलग से 1.24 लाख की बिलिंग क्यों?
इसे भी जांच समिति देखेगी कि सही में इतना खर्च हुआ है.

उपकरण खरीद का बिल भी अधूरा
3.41 लाख का ट्रांसपोर्टेबल वेंटिलेटर, 1.18 लाख का मल्टी पारामीटर मॉनिटर, 69 हजार का स्ट्रिंग पंप, 33 हजार का पोर्टेबल सक्शन मशीन लगी. इनकी कीमत मॉडल से तय होती है, पर बिल में जिक्र नहीं.

सीट पार्टिशन पर 1.24 लाख खर्च
फ्रैब्रिकेशन-इंस्टालेशन पर 6.72 खर्च के अलग 1.24 लाख खर्च और जोड़ा गया. मरीज से ड्राइवर केबिन को अलग करने के लिए एयर टाइट फोल्डेबल पार्टिशन पर यह राशि खर्च की गई.

अपग्रेडेशन पर खर्च 6.72 लाख
फ्रैब्रिकेशन-इंस्टालेशन पर 6.72 लाख खर्च. इसमें 2 अटेडेंट के लिए सीट-बेल्ट. पेशेंट स्ट्रेचर, ऑक्सीजन के लिए प्रेशर गेज, फ्लो मीटर, पाइपलाइन, इनवर्टर-बैट्री, सायरन, माइक, एलईडी लाइट्स भी लगाई गईं.

सप्लाई करने वाली कंपनी बोली- स्टैंडर्ड प्रोसेस से दिया
हमारी ट्रेडिंग कंपनी है. हमने प्रक्रिया से टेंडर हासिल कर स्टैंडर्ड प्रोसेस से यह सामान दिया है. अन्य कंपनियों ने भी टेंडर भरा था. न्यूनतम रेट देने पर हमारे बिड को चुना गया था. 21.84 लाख नहीं, जेम पोर्टल पर भी इससे भी महंगा एम्बुलेंस उपलब्ध है. -अंशुमन, प्रोपराइटर (इंद्राशन ट्रेडिंग कंपनी)

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