पिटाई से मारे गए इंजीनियर के परिजनों को मिलेगा 7 लाख मुआवजा, दोषी पुलिसकर्मी को दंड दें

NEWSPR डेस्क। बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग ने बिहपुर (भागलपुर) में पुलिस द्वारा मारे गए बेकसूर सॉफ्टवेयर इंजीनियर आशुतोष कुमार पाठक के परिजनों को 7 लाख रुपया मुआवजा देने का निर्देश राज्य सरकार को दिया है। आयोग के सदस्य उज्ज्वल कुमार दुबे के अनुसार मुआवजे की राशि मृतक की पत्नी स्नेहा पाठक को 10 फरवरी 2021 तक मिल जानी चाहिए।

आयोग ने बुधवार को इस बारे में भागलपुर डीएम को आदेश दिया गया है। आयोग ने सरकार को यह छूट दी है कि वह मुआवजे की राशि को दोषी पुलिसकर्मियों से वसूल सकती है। दशहरा के समय बिहपुर के तत्कालीन थानाध्यक्ष रंजीत कुमार तथा वहां के पुलिसकर्मियों की पिटाई से पुणे में कार्यरत सॉफ्टवेयर इंजीनियर आशुतोष की मौत की खबर आई थी।

आयोग ने इस पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई शुरू की। आयोग के 7 पन्नों के फैसले में कहा गया है-’नवगछिया एसपी की रिपोर्ट से यह बात एडमिटेड है कि आशुतोष निर्दोष व्यक्ति थे और उनके साथ रंजीत कुमार और उसके साथी पुलिसकर्मियों ने अधिकार का दुरूपयोग करते हुए गंभीर मारपीट की।

मानवता को शर्मसार करते हुए आशुतोष को थाना हाजत में लाकर पुलिसकर्मियों ने इतना पीटा की वे हाजत में ही अचेत होकर तीन घंटे तक पड़े रहे। उनको अचेतावस्था में ही परिजनों को सौंपा गया। इसके कुछ घंटों बाद उनकी इलाज के दौरान मौत हो गई।

आशुतोष की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी उसकी गंभीर पिटाई किये जाने की पुष्टि होती है।’ आयोग ने कहा है-’एक सभ्य समाज मे इस तरह की घटना स्वीकार्य नहीं है। दोषी पुलिसकर्मियों को कठोरतम और उदाहरणीय दंड मिलना चाहिए।’ 24 अक्टूबर 2020 को आशुतोष कुमार पाठक अपनी पत्नी व दो साल की पुत्री माणवी के साथ भ्रमरपुर दुर्गा स्थान में पूजा करने के बाद अपने घर (मंडवा, बिहपुर, झंडापुर ओपी) लौट रहे थे। महेश स्थान चौक पर मौजूद बिहपुर के थानाध्यक्ष रंजीत कुमार, संविदा पर प्रतिनियुक्त उनके निजी चालक मो.जहांगीर राईन एवं अन्य पुलिसकर्मियों, जो सिविल ड्रेस में थे, ने आशुतोष को रोककर उनके साथ गाली-गलौज की।

इसका विरोध करने पर वहीं आशुतोष के साथ मारपीट की गई। उनको थाना लाकर हाजत में पीटा गया। बहुत सारा खून हाजत में ही बह गया। बाद में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। इस मामले में रंजीत कुमार, उनके निजी चालक मो. जहांगीर राईन सहायक अवर निरीक्षक शिवबालक प्रसाद, गृहरक्षक मनोज कुमार चौधरी व राजो पासवान को आरोपी बनाया गया। रंजीत फरार है। बाकी चारों जेल में हैं।

 

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