नालंदा जिले के उतरथु गांव में आज शोक और सम्मान का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है। गांव के वीर सपूत, सिकंदर राउत, जो भारतीय सेना में कार्यरत थे, जम्मू-कश्मीर में देश की सेवा करते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए।
बिंद थाना क्षेत्र निवासी सिकंदर की शहादत की खबर जैसे ही गांव में पहुंची, पूरा गांव गमगीन हो गया, लेकिन साथ ही उनके बलिदान पर गर्व भी महसूस किया जा रहा है।शहीद के पिता, प्रताप राउत, जिनके हाथ अब उम्र की लाठी थामे हैं, आंखों में आंसू और दिल में बेटे की शहादत पर गर्व लिए खड़े हैं। उन्होंने कहा, “बुढ़ापे का सहारा तो छिन गया, पर तसल्ली है कि बेटा देश के काम आया। भारत मां के लिए जान देना किसी भी पिता के लिए सबसे बड़ा गर्व है।”साधारण किसान परिवार से आने वाले सिकंदर राउत बचपन से ही साहसी और देशभक्ति से ओतप्रोत थे।
वह अपने दो भाइयों में सबसे छोटे थे और शुरू से ही उनका सपना सेना में जाकर देश की सेवा करना था। गांववालों के अनुसार, वह हमेशा देश के लिए कुछ बड़ा करने की बात करते थे। उन्होंने अपने इस संकल्प को न केवल पूरा किया, बल्कि देश की सीमाओं की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति भी दी।कुछ महीने पहले तक सिकंदर झारखंड के रांची में तैनात थे, लेकिन ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद बढ़ते भारत-पाक तनाव के चलते उन्हें जम्मू-कश्मीर के अग्रिम मोर्चे पर भेजा गया। वहीं, उन्होंने मातृभूमि के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए।गांव में जैसे ही यह दुखद समाचार पहुंचा, लोग उनके घर की ओर उमड़ पड़े। हर चेहरा शोकाकुल है, लेकिन आंखों में एक चमक भी है — अपने बेटे की बहादुरी पर गर्व की चमक। सिकंदर अपने पीछे पत्नी, दो छोटे बेटे और एक गमगीन परिवार छोड़ गए हैं। पार्थिव शरीर को लाने के लिए परिजन रवाना हो चुके हैं और जैसे ही वह गांव पहुंचेगा, पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।उतरथु गांव आज एक बेटे की शहादत पर रो रहा है, लेकिन उसकी वीरता की गाथा हर दिल में अमर हो गई है।