NEWSPR डेस्क। पूर्व सांसद और बिहार के बाहुबली नेता आनंद मोहन के जेल से बाहर घूमते पाए जाने पर राजनीतिक घमासान मचा हुआ है। पटना आवास व खगड़िया परिसदन में उनकी तस्वीरें वायरल होने के बाद सहरसा डीएसपी (मुख्यालय) द्वारा की गई जांच में कई अन्य चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. आनंद मोहन न्यायिक अभिरक्षा में 47.5 घंटे जेल से बाहर रहे। 11 अगस्त की शाम 5.45 बजे जेल से चले व 13 अगस्त की शाम 5.15 मिनट पर वापस जेल गए। पटना के कोर्ट में पेशी में महज 3 घंटे का वक्त लगा, बाकी समय उन्होंने आने-जाने या फिर अपनी मर्जी के अनुसार दूसरी जगहों पर बिताया।
जांच की रिपोर्ट सहरसा एसपी लिपि सिंह को सौंप दी गई है। आनंद मोहन के साथ एसआई संतोष के अलावा सहरसा जिला बल के 4 सिपाही थे। जांच रिपोर्ट के मुताबिक, एक मामले में आनंद मोहन की पेशी 12 अगस्त को पटना के अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम के समक्ष होनी थी। सहरसा मंडल कारा द्वारा इसके लिए पुलिस से कैदी वाहन और पुलिस बल उपलब्ध कराने का पत्र भेजा गया।
सहरसा पुलिस केंद्र से सशस्त्र बल और कैदी वाहन भेजे गए लेकिन सहायक जेल अधीक्षक ने फोन पर कैदी की तबीयत ठीक नहीं होने का हवाला देते हुए छोटी गाड़ी उपलब्ध कराने को कहा। इसके बाद बोलेरो भेजी गई मगर आनंद मोहन उससे नहीं गए। जेल से 11 अगस्त की शाम 5.45 मिनट पर वह किसी निजी एसयूवी गाड़ी से निकले। उसी गाड़ी में पुलिस अधिकारी और जवान भी मौजूद थे। रात करीब 2 बजे वे पटना पहुंचे।
जांच रिपोर्ट बताती है कि आनंद मोहन पटना पहुंचने के बाद स्वास्थ्य का हवाला देकर अपने पाटलिपुत्र स्थित आवास गए। अगले दिन यानी 12 अगस्त को दोपहर 12 बजे वह कोर्ट गए और वहां 3 बजे तक रहे। कोर्ट से निकलने के बाद वापस पाटलिपुत्र आवास पहुंचे। तबीयत ठीक नहीं होने की बात कहकर चांद मेमोरियल हॉस्पिटल दिखाने भी गए। शाम 5 बजे वहां से सहरसा के लिए चले।
रास्ते में बीमारी का हवाला देकर वह समस्तीपुर के मुसरीघरारी में दो घंटे तक रुके। फिर बेगूसराय होते हुए खगड़िया परिसदन में रुकने को कहा। यहां भी उन्होंने तबीयत ठीक नहीं होने का हवाला पुलिसवालों को दिया। आनंद मोहन 13 अगस्त की सुबह खगड़िया स्थित राजद कार्यालय गए। दोपहर 2 बजे वहां से चले और पर गाड़ी में खराबी के चलते सोनवर्षा में करीब एक घंटे रुकना पड़ा। इसके बाद शाम 5.15 बजे पुलिस टीम आनंद मोहन को लेकर सहरसा जेल पहुंची।