वीडियोकॉन पर बैंक का कर्जा 46000 करोड़ और बेची जाएगी 3000 करोड़ में
46000 करोड़ के बैंक कर्जे में डूबी वीडियोकॉन 3000 करोड़ में बिक रही है।खरीददार होंगे वेदांता के अनिल अग्रवाल। NCLT ने अनुमति दे दी है।
बैंको को 43000 करोड़ गँवाने पड़ेंगे।
और सरकार दो बैंको को बेच कर इतना ही कमा पाएगी। यानि की आसान भाषा में पैसा वसूलने की जगह बैंक ही बेच दो।
क्या है पूरा मामला
दिवालियापन मामलों की अदालत एनसीएलटी NCLT ने अरबपति अनिल अग्रवाल की कंपनी ट्विन स्टार टेक्नोलॉजीज को 3,000 करोड़ रुपए में वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज का अधिग्रहण करने की मंजूरी दे दी. वेदांता ग्रुप की कंपनी ट्विन स्टार 90 दिनों के भीतर करीब 500 करोड़ रुपए का अग्रिम भुगतान करेगी और बाकी धनराशि का भुगतान कुछ समय के भीतर नॉन-कंवर्टिवल डिबेंचर्स के रूप में करेगी
कंपनी की वेबसाइट पर दिवालियापन मामले से संबंधित खुलासे के मुताबिक, 2019 में वीडियोकॉन का कर्ज 63,500 करोड़ रुपए से अधिक था. इसमें से, 57,400 करोड़ रुपए तीन दर्जन से अधिक बैंकों और अन्य वित्तीय लेनदारों पर बकाया था.
वीडियोकॉन पर देश का सबसे बड़ा बैंक एसबीआई का 10,944 करोड़ रुपए, आईडीबीआई बैंक 9,504 करोड़ रुपए, सेंट्रल बैंक 4,969 करोड़ रुपए, ICICI बैंक 3,295 करोड़ रुपए और यूनियन बैंक का 2,515 करोड़ रुपए का बकाया है.
वेदांता की रावा तेल क्षेत्र में 25 फीसदी हिस्सेदरी होने की वजह से उसने वीडियोकोन ग्रुप की कंपनियों में रुचि दिखाई है. इस अधिग्रहण के बाद वेदांता की रावा तेल क्षेत्र में 47.5 फीसदी हिस्सेदारी हो जाएगी. इसके साथ वह ओएनजीसी की 40 फीसदी हिस्सेदारी से भी बड़ी हिस्सेदार हो जायेगी. ओएनजीसी की रावा तेल में 40 फीसदी हिस्सेदारी है