भारत रत्न से सम्मानित प्रसिद्ध सितार वादक पंडित रवि शंकर की पुण्यतिथि, जेडीयू ट्रेडर्स प्रकोष्ठ के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष संजीव श्रीवास्तव ने दी श्रद्धांजलि

Patna Desk

NEWSPR डेस्क। भारत रत्न से सम्मानित विश्व प्रसिद्ध सितार वादक पंडित रविशंकर की आज पुण्यतिथि है। इस मौके पर जेडीयू ट्रेडर्स प्रकोष्ठ के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष संजीव श्रीवास्तव ने नमन करते हुए श्रद्धांजलि दी है। उन्होंने कहा कि भारत रत्न से सम्मानित सितार वादक पंडित रविशंकर भारतीय शास्त्रीय संगीत के एक बहुत महत्वपूर्ण नाम हैं। कभी नृत्य की विद्या में खुद को ढालने की कोशिश करने वाले पंडित रविशंकर ने संगीत की दुनिया में भारतीय शास्त्रीय संगीत को विशेष पहचान दिलाई है। वो विश्व के सबसे प्रसिद्द सितार वादक व संगीतकार रहे हैं। उन्होंने ही देश की आजादी के लिये अलख जगाने के वास्ते 1945 में ‘सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा…’ की सितार पर धुन तैयार की थी। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की शहादत पर ‘मोहोन कौश’ राग बनाया था।

अपने परिवार में सात भाइयों में सबसे छोटे पंडित रविशंकर ने बड़े भाई व सुप्रसिद्ध नर्तक उदयशंकर के साथ नृत्य कला का प्रदर्शन करते हुए देश विदेश का दौरा किया, अंततः नृत्य छोड़ उन्होंने सितार वादन सीखने की ठानी। अलाउद्दीन खां साहब से सितार वादन की शिक्षा प्राप्त कर रविशंकर जी ने भारतीय शास्त्रीय संगीत को विश्व भर में एक अलग मुकाम पर पहुंचाया। पंडित रविशंकर ने रमेश्वरी, मोहन कौंस, रसिया, मनमंजरी, पंचम आदि अनेक नये राग बनाये जिनमें से वैरागी और नटभैरव राग उनके सबसे लोकप्रिय राग बनें। इसके साथ ही सितार की शिक्षा देने के लिए रविशंकर जी ने स्वयं ही स्वरलिपि-पद्दति का विकास किया, जिसकी तरफ बहुत कम लोगो का ध्यान गया है। अपने जीवन काल में पंडित रविशंकर ने कई विश्व प्रसिद्द संगीतकारों व गायकों के साथ जुगलबंदी की। जिनमें विश्व प्रसिद्ध बैंड बीटल्स, अमेरिका के सुप्रसिद्ध वायलिन बादक येहुदी मेन्युहिन, तबला उस्ताद अल्लाहरखा खां आदि शामिल हैं।

पंडित रविशंकर को संगीत के क्षेत्र में उनके महान योगदान के लिए विश्वभर में सम्मानित किया गया। 1999 में उन्हें भारत रत्न और 1981 में पद्मविभूषण से नवाज़ा गया। उन्हें तीन बार ग्रैमी पुरस्कार भी मिला। साल 1986 से 1992 के बीच वह राज्यसभा के सदस्य भी रहे। पंडित जी ने अपनी लम्बी संगीत यात्रा पर कुछ महत्वपूर्ण पुस्तकें भी लिखी। माई म्यूजिक माई लाइफ (My music My Life) के अतिरिक्त उनकी “रागमाला” नामक पुस्तक विदेश में प्रकाशित की गई। 92 साल की उम्र में 11 दिसंबर 2012 में अमेरिका के सैन डिएगो के एक अस्पताल में उनका निधन हो गया।

 

 

Share This Article