NEWSPR डेस्क। महा गठबंधन की सरकार बनने से जहां लोगों को आशा की किरण दिखाई देने लगी थी वहीं अब मायूसी का आलम बना हुआ है। नगर निगम का आतंक इतना फैल चुका है कि सही को गलत बताकर रोजाना हजारों रुपए ऐंठे जाते है, उच्चाधिकारी भी इस पर मौन धारण किए हुए है। निगम का अवैध वसूली को लेकर आतंक इतना बढ़ चुका है की दुकानदार भी त्राहिमाम त्राहिमाम करने लगे है.
कोतवाली थाना अंतर्गत पटना जंक्शन के पास फुटपात पर दुकान लगाने वाले दुकानदारों ने पटना नगर निगम के कर्मियों के खिलाफ काफी रोष है. फ़ुटपाटी दुकानदारों का कहना है कि निगम के अधिकारी आ टपकते है ओर अवैध वसूली करने लगते है. रूपये न देने पर उनके स्टॉल को जबरदस्ती ले जाने लगते है और काम बंद करवाने की धमकी देने लगते है. यह एक मामला नहीं ऐसे अन्य मामले है जो वहां के कुछ दुकानदारों को टारगेट बनाकर रुपयों की वसूली करते है जबकि फ़ुटपाती दुकानदार इसमें पिस रहा है।
जबकि निगम अधिकारियों को सरकारी खजाने से कोई मतलब नहीं, वह अपनी जेब गर्म रखना चाहते है। वही कुछ दुकानदारों ने कहा है की गर्दनीबाग अंचल के एक्सक्यूटिव मैनेजर संजय कुमार पटना जंक्शन स्थित मस्जिद के पास लगे पंडालों में आते है और रोजाना टारगेट किये कुछ दुकानदारों से जबरन अवैध वसूली करते है, अगर दुकानदार उनकी बात नहीं मानते है तो वो अपने निगम कर्मी (गुंडे) से जबरन उनका स्टॉल उठा लेते है. लाख बिनती करने पर भी नहीं मानते जबतक उनकी जेब गर्म न हो जाये।
वही नाम न छापने की शर्त पर एक फ़ुटपाती दुकानदार ने बताया की संजय कुमार रोजाना 11 बजे से 12 बजे की बीच अपने कर्मियों से साथ आते है और कुछ फ़ुटपाती दुकानदारों को टारगेट करके उनसे जबरन अवैध वसूली करते है. रूपये न देने पर कानूनी प्रक्रिया के चक्कर में फ़साने की धमकी देते है अगर कोई दुकानदार पैसा देते है तो सारी प्रक्रिया ख़त्म हो जाता है.
लोगों में निगम का खौफ इतना बढ़ चुका है कि फ़ुटपाती दुकान खोलने से पहले कई बार सोचता है। इन अधिकारियों का अवैध वसूली का आतंक भी लगातार बढ़ रहा है। अवैध वसूली के लिए कौन जिम्मेवार है? जबकि पटना मेयर सीता साहू का साफ कहना है कि कोई भी निगम का कर्मी अगर अवैध वसूली में पकड़े जायेंगे तो उनके ऊपर बड़ी कार्रवाई की जाएगी।
पटना नगर निगम की हालत तरस योग है क्योंकि यहां मेयर नाम की कोई चीज नहीं ऐसे में नगर निगम की कोई मीटिंग नहीं हो रही ओर न ही कोई विकास कार्य हो रहे है। जबकि निगम कर्मचारी इसकी आड़ में लोगों को लूट रहे है। नगर निगम अधिकारी सिर्फ अदालत के आदेश पर अतिक्रमण व अवैध निर्माण की तरफ अपना रुख करते है ओर आदेश आने पर मात्र दिखावा करते है।
निगम पहले अवैध निर्माण व अतिक्रमण के नाम पर हाई वोल्टेज ड्रामा कर दिखावा करता है। जैसे ही अदालत में शपथ पत्र देने की तारीख नजदीक आती है तो सभी अवैध निर्माण व अतिक्रमण को रोक दिया जाता है। मात्र वीडियो बनाकर ही अदालत को गुमराह किया जाता है।