गांवों को बड़ी सौगात: अब मुखिया और सरपंच जारी करेंगे मृत्यु प्रमाण पत्र

Jyoti Sinha

बिहार की राजनीति में जहां रोज़ाना बयानबाज़ी और आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलता रहता है, वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ऐसा फैसला लिया है, जिसने गांव-गांव में चर्चा छेड़ दी है। ज़मीन से जुड़े मामलों में अब ग्रामीणों को एक बड़ी राहत मिलने जा रही है। सरकार ने पंचायत के मुखिया और सरपंच को सीधे मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार दे दिया है।यह बदलाव प्रशासनिक कामकाज को आसान बनाने के साथ-साथ लंबे समय से अटके नामांतरण और उत्तराधिकार के मामलों को तेज़ी से निपटाने के मकसद से किया गया है। राजस्व महाअभियान के तहत 10 अगस्त को पटना में पंचायत प्रतिनिधियों के संग हुई बैठक में यह मुद्दा उठा कि कई मामलों में रैयत या जमाबंदीदार की मौत सालों पहले हो चुकी है, लेकिन प्रमाण पत्र न होने से काम अटका पड़ा है।

सुझाव सीधे मुख्यमंत्री तक पहुंचा और तुरंत इसे अमल में लाने की प्रक्रिया शुरू हो गई।अब वारिस, साधारण कागज़ पर स्व-घोषणा पत्र देकर पंचायत के मुखिया या सरपंच से हस्ताक्षर और सत्यापन करा सकता है। वंशावली में ‘मृत’ दर्ज होने को भी प्रमाण के तौर पर मान्यता दी जाएगी। माना जा रहा है कि यह कदम गांवों में सत्तारूढ़ दल की पकड़ और मजबूत करेगा, क्योंकि सुविधा सीधे लोगों के दरवाज़े पर पहुंच रही है।पहले एक साल से पुराने जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार बीडीओ और नगर निकाय के अधिकारियों को था, लेकिन ग्रामीणों की परेशानी बनी हुई थी। नामांतरण के लिए जरूरी मृत्यु प्रमाण पत्र ब्लॉक या नगर निकाय से ही मिलता था, जिस वजह से लोगों को महीनों कार्यालयों के चक्कर काटने पड़ते थे और कई बार दलालों के जाल में फंसना पड़ता था।नए नियम में स्थानीय स्तर पर सत्यापन को अहमियत दी गई है। मुखिया या सरपंच, अपने क्षेत्र की जानकारी के आधार पर मृत्यु की पुष्टि करेंगे और नामांतरण की प्रक्रिया तुरंत आगे बढ़ सकेगी। भूमि राजस्व विभाग का दावा है कि इस फैसले से हज़ारों पुराने मामले सुलझ जाएंगे, खासकर वे जिनमें दशकों पुरानी मृत्यु का कोई सरकारी रिकॉर्ड नहीं है।

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