बिहार के आंगनबाड़ी बच्चों को जीविका दीदियां सिलकर देंगी पोशाक, सरकार ने बढ़ाया सहयोग – 200 करोड़ का होगा टर्नओवर

Patna Desk

बिहार के 1 लाख 15 हजार 9 आंगनबाड़ी केंद्रों में नामांकित करीब 52 लाख बच्चों को हर साल अब दो सेट पोशाक उपलब्ध कराए जाएंगे। इसके लिए सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए मंगलवार को बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन प्रोत्साहन समिति (जीविका) और समेकित बाल विकास सेवा (ICDS) के बीच एक ऐतिहासिक समझौता (MoU) किया है।समझौते पर जीविका के सीईओ हिमांशु शर्मा और ICDS के निदेशक अमित कुमार पांडेय ने हस्ताक्षर किए। इस पहल के तहत अब जीविका दीदियां बच्चों के लिए कपड़े सिलेंगी, जिससे उन्हें रोजगार और आय का बेहतर अवसर मिलेगा।सरकारी मंत्री बोले – बदल जाएगा आंगनबाड़ी का चेहराइस अवसर पर ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने बताया कि राज्य के 534 प्रखंडों में पुराने भवनों में 100 सिलाई केंद्र खोले जाएंगे।

उन्होंने बताया कि अब तक 20 लाख जीविका दीदियां “लखपति दीदी” बन चुकी हैं और राज्य में 92 हजार से अधिक महिलाएं सिलाई कार्य में सक्रिय हैं।वहीं, समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी ने कहा कि वह दिन दूर नहीं जब जीविका दीदियां लाखों मीटर कपड़े सिलकर बच्चों के लिए पोशाक तैयार करेंगी। सेविकाओं और सहायिकाओं के लिए साड़ी की आपूर्ति भी जीविका दीदियों से कराई जाएगी। इसके अलावा अब आंगनबाड़ी केंद्रों पर खिचड़ी के बजाय मेन्यू के अनुसार विविधतापूर्ण भोजन दिया जा रहा है।

400 रुपये में तैयार होंगी यूनिफॉर्म, मिलेंगे समर-विंटर सेटसमाज कल्याण विभाग की सचिव वंदना प्रेयषी ने बताया कि पहले पोशाक के लिए केवल 250 रुपये दिए जाते थे, लेकिन अब यह राशि 400 रुपये कर दी गई है। इसके बावजूद जब बच्चों तक इसका पूरा लाभ नहीं पहुंच रहा था, तब तय किया गया कि अब जीविका दीदियां खुद यूनिफॉर्म सिलेंगी। इससे बच्चों को गर्मी और सर्दी दोनों के लिए अलग-अलग पोशाक मिल सकेंगी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।डोर स्टेप रोजगार का वादाग्रामीण विकास विभाग के सचिव लोकेश कुमार सिंह ने बताया कि यह योजना जीविका दीदियों के आर्थिक सशक्तीकरण की दिशा में बड़ा कदम है। इससे उनका टर्नओवर 200 करोड़ रुपये से अधिक हो सकता है। जरूरत पड़ने पर दीदियां जीविका के बैंक से ऋण लेकर सिलाई का कार्य और विस्तार कर सकेंगी, जिससे उन्हें घर बैठे रोजगार मिलेगा।

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