बिहार को मिल सकती हैं बड़ी सौगातें, चुनावी साल में केंद्र की मेहरबानी संभव!

Patna Desk

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तीसरी बार बनी केंद्र सरकार का वर्ष 2025-26 का आम बजट वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को संसद में पेश करेंगी। इस बजट से कई सेक्टरों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है, खासकर बिहार को, क्योंकि इस साल बिहार विधानसभा चुनाव प्रस्तावित है। माना जा रहा है कि केंद्र सरकार बिहार के लिए विशेष घोषणाएं कर सकती है, जिससे एनडीए सरकार को आगामी चुनाव में राजनीतिक फायदा मिल सके।

बिहार को बजट से क्या उम्मीदें?

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार सरकार को उम्मीद है कि कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी ढांचे से जुड़े कई प्रोजेक्ट्स को केंद्र से आर्थिक सहयोग मिलेगा। माना जा रहा है कि केंद्र सरकार बिहार के लिए एक विशेष पैकेज की घोषणा कर सकती है, हालांकि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग पर अब भी संशय बना हुआ है। इसके बदले विकास परियोजनाओं के लिए बड़े फंड मिलने की संभावना जताई जा रही है।

लोक-लुभावन बजट: सामाजिक योजनाओं पर जोरचुनावी साल में केंद्र सरकार राशन, उज्ज्वला योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी योजनाओं को और मजबूत करने के लिए बिहार के लिए विशेष प्रावधान कर सकती है। साथ ही, पटना यूनिवर्सिटी को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने और कृषि, विधि, सामाजिक विज्ञान के लिए नई यूनिवर्सिटी स्थापित करने जैसी पुरानी मांगों पर भी फैसला हो सकता है।

2024 में बिहार को मिला था बड़ा आर्थिक सहयोग-पिछले साल, बिहार को केंद्र सरकार से 63,000 करोड़ रुपये का पैकेज मिला था। इसमें:13,000 करोड़ रुपये बाढ़ राहत के लिए26,000 करोड़ रुपये सड़क और एक्सप्रेसवे निर्माण के लिए8,000 करोड़ रुपये विशेष सहायता के रूप में शामिल थे।इस साल इस पैकेज में और बढ़ोतरी की उम्मीद की जा रही है।बिहार को मिल सकती है हवाई यात्रा की सौगातबिहार में हवाई सुविधाओं के विस्तार की मांग लंबे समय से की जा रही है।

इस बार के बजट में दरभंगा एयरपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विकसित करने और भागलपुर, पूर्णिया सहित अन्य शहरों में नए हवाई अड्डे बनाने पर बड़ा फैसला लिया जा सकता है। साथ ही, मौजूदा हवाई अड्डों के अद्यतन और विस्तार के लिए भी धन आवंटित किया जा सकता है।केंद्र की योजनाओं में बिहार का हिस्सा बढ़ सकता हैबिहार सरकार लंबे समय से केंद्र प्रायोजित योजनाओं में राज्यांश की हिस्सेदारी कम करने और केंद्रांश बढ़ाने की मांग कर रही है। वर्तमान में **बिहार को हर साल 30,000 करोड़ रुपये से अधिक का

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