NEWSPR डेस्क। बिहार में बच्चों की स्वास्थय को लेकर लगातार चिंता बढ़ती जा रही है। बीते कुछ दिनों में कई बच्चे तरह तरह की बीमारी के चपेट में आए हैं। वहीं कई बच्चों की मौत भी हो गई हा। बचचों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। गोपालगंज में एईएस नामक बीमारी से 3 बच्चों की मौत की खबर आई है। बच्चों की जांच रिपोर्ट के आधार पर CS ने इस बात की पुष्टि की है। वहीं अब तक कई दर्जन बच्चों का जांच के लिए सैंपल पटना भेजा गया है।
इसके साथ ही मुजफ्फरपुर में बीते 7 दिनों में 1310 बच्चे वायरल फीवर से बीमार हुए हैं। जिसमेमं से ज्यादातर बच्चे अब तक स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं। यह बात केयर इंडिया टीम की सर्वे में सामने आई है। बता दें कि शहर के सदर अस्पताल और पीएचसी में 850 बच्चे, एसकेएमसीएच में 220 बच्चे तो वहीं केजरीवाल अस्पताल 250 बच्चे एडमिट किए गए थे। वहीं राज्य़ के बाकी शहरों से भी बच्चों की अलग अलग बीमारी से पीड़ित होने की खबरें सामने आई है।
बता दें कि बिहार में गर्मी और उमस बढ़ने के बाद कआ इलाकों में बच्चों में होने वाली एक्यूट इंसेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) अपना रंग दिखाना शुरू कर देता है। जुलाई में भी मुजफ्फरपुर में कई बच्चों ने इस बीमारी से पीड़ित होकर अपनी जान गवाई थी।
एईएस बीमारी के लक्षण
इस रोग के लक्षण के संबंध में कम गंभीर रोगियों में बुखार एवं सिर में दर्द की शिकायत होती है। वहीं गंभीर स्थिति बाले रोगी मानसिक रूप से विक्षिप्त, कंफ्यूज्ड (किंकर्तव्य विमुढ़ वाली स्थिति), चमकी का दौरा पड़ना, अपने आसपास की वस्तुस्थिति का ज्ञान न होना आदि लक्षण हैं।
बीमारी का कारण
यह बीमारी मस्तिष्क का वैक्टिरिया/ भायरस के संक्रमण से होता है। जिसके कारण विषाक्त वस्तु मस्तिष्क में प्रवेश कर जाता है। आमजनों में चर्चा के अनुसार लीची को भी इस बीमारी का कारक माना जाता है।
एईएस रोग से बचाव
इसके तहत अपने बच्चों के हाथों की साबुन से सफाई खासकर शौच से आने के बाद एवं खाना खाने के पहले अवश्य करें। बीमारी से ग्रस्त व्यक्तियों के संपर्क में आने वाले बर्तनों को एवं खाद्य पदार्थो की साझेदारी से अवश्य बचें। बीमारी से बचाव के उपलब्ध भैक्सिन अवश्य लगवाएं। अपने बच्चों को मच्छड़ से दूर रखने वाले क्रीम एवं स्प्रे का इस्तेमाल करें। यदि बच्चों के सिर में थोड़ा सा भी सूजन उलटी या उलटी के लक्षण, शरीर में अकड़न की शिकायत, बच्चे का लगातार रोना, बच्चों को हमेशा सोते रहना, बच्चों को भूख नहीं लगना, चिड़चिड़ापन जैसे लक्षण दिखाई दे, तो तुरंत उस, पास के अस्पताल में ले जाएं और डॉक्टर से सलाह लें और प्रॉपर इलाज करवाएं।