Bihar Election 2020 – मोकामा के महाभारत में अनंत के ख़िलाफ़ जदयू ने उतारा “सियासी संत”…

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पटना डेस्क। बिहार में चुनाव हो और बाहुबलियों का जिक्र न हो ये संभव नही है।बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में भी सूबे में तमाम दलों ने बाहुबलियों को टिकट दिया है। इसी क्रम में फिर एक बार मोकामा विधानसभा सीट पर चुनावी जंग चर्चा का विषय बन गई है। बाहुबली अनंत लगातार चौथी बार चुनाव जितने खातिर चुनावी पर्चा दाख़िल कर चुके है। वही इस बार छोटे सरकार का मोकामा से खुटा उखाड़ने खातिर एनडीए ने एक “सियासी संत” को मैदान में उतारा दिया है।

मोकामा को दंबग है पसंद

दरअसल,आज़ादी के बाद से अबतक सपन्न हुए तमाम विधानसभा चुनावो में इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व की जंग कोई सियासी और सामाजिक रूप से दमदार और दबंग ही जीतता रहा है।मोकामा की भौगोलिक बनावट की वजह से यहां धन और बल का बोलबाला रहा है। यही वजह है कि यहां पिछले तीन दशक से यानी 30 वर्षों से बाहुबली ही विधायक चुने जाते रहे हैं।

साल 1990 में अनंत सिंह के भाई दिलीप कुमार सिंह जनता दल के टिकट पर चुने गए थे। 1995 में भी दिलीप सिंह ने ही बाजी मारी लेकिन साल 2000 में दूसरे बाहुबली सूरजभान सिंह यहां से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर विजयी हुए और विधानसभा पहुंचे। इन दोनों परिवारों के बीच अदावत का इतिहास भी पुराना रहा है। 2005 के विधान सभा चुनाव में अनंत सिंह ने जेडीयू के टिकट पर जीत हासिल की। उसी साल हुए उपचुनाव में फिर से अनंत सिंह विजयी हुए। साल 2010 में भी अनंत सिंह जेडीयू के टिकट पर जीत गए। 2015 में अनंत सिंह चौथी बार निर्दलीय जीतने में कामयाब रहे।लेकिन लगातार चौथी बार मोकामा के चुनावी महाभारत को जीतने खातिर अनंत सिंह इस बार राजद के टिकट पर चुनावी पर्चा दाखिल कर दिया है।

लेकिन इस बार जदयू ने एक चौकाने वाला निर्णय लेते हुए मोकामा विधानसभा क्षेत्र से राजीव लोचन नारायण सिंह उर्फ अशोक नारायण को उम्मीदवार बनाया है। राजीव लोचन अब मोकामा में बाहुबली अनंत कुमार सिंह को टक्कर देंगे। लेकिन, सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर कौन हैं राजीव लोचन ? जिसके सहारे नीतीश कुमार ने 2015 से पहले तक अपने खासम खास रहे बाहुबली अनन्त सिंह को चुनावी जंग में पटखनी देने की कवायद की है।


सियासी संत जो करेगा अनंत से जंग

दरअसल, जदयू ने एक चौकाने वाला निर्णय लेते हुए मोकामा विधानसभा क्षेत्र से राजीव लोचन नारायण सिंह उर्फ अशोक नारायण को उम्मीदवार बनाया है। राजीव लोचन मोकामा के चर्चित सकरवार टोला निवासी हैं। इनके पिता वेंकटेश नारायण सिंह उर्फ बीनो बाबू मोकामा के एक बेहद लोकप्रिय व्यक्तित्व रहे। पिता वेंकटेश नारायण सिंह उर्फ बीनो बाबू पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के विचारों से प्रेरित रहे। बीनो बाबू का रिश्ता नीतीश कुमार से भी काफी अच्छा रहा है। दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री रहते हुए जब बाढ़ के टाल में बने एनटीपीसी का शिलान्यास करने आए थे तब उन्होंने बीनो बाबू से अलग से मुलाकात की थी। पुर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी ने मोकामा आने पर बीनो बाबू के यहां विश्राम भी किया था। बीनो बाबू और पूर्व प्रधानमंत्री के बीच बेहद आत्मीय सम्बन्ध रहे।

राजीव लोचन के पिता बीनो बाबू के बारे में कहा जाता है कि वह नीतीश कुमार के भी पुराने परिचित रहे हैं। जब 1989 में नीतीश कुमार बाढ़ संसदीय क्षेत्र से पहली बार चुनाव लड़ने उतरे तब से लेकर 2004 तक वेंकटेश नारायण सिंह ने उनकी जीत सुनिश्चित करने के लिए हर बार चुनाव में अथक प्रयास किया। यही कारण रहा कि नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बनने के बाद मोकामा आने पर वेंकटेश बाबू से मुलाकात करते रहे।

प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से नजदीकी सम्बंध रखने वाले पिता की छत्रछाया में पले बढ़े राजीव लोचन यूँ तो सार्वजनिक जीवन में हमेशा पर्दे के पीछे ही रहे लेकिन उनकी राजनीतिक सक्रियता हमेशा बनी रही। राजीव लोचन पिछले चार दशक से भाजपा से जुड़े हुए हैं। उन्होंने भाजपा के किसान मोर्चा में राज्य स्तर पर कई पदों की जिम्मेदारी निभाई है।

हालांकि वे अब तक सक्रिय राजनीति में ज्यादा चर्चित नहीं रहे हैं। इसके बावजूद मोकामा विधानसभा और मुंगेर लोकसभा क्षेत्र के चुनाव जंग के समय राजनीतिक दलों के उम्मीदवार उनसे निरन्तर सम्पर्क बनाते रहे हैं। यहां तक कि चुनाव के दौरान वे कई उम्मीदवारों के लिए प्रचार प्रसार करते रहे हैं। किसानी करने वाले राजीव लोचन मृदु भाषी और मिलनसार जरूर हैं।बीनो बाबू की ही तरह उनके बेटे राजीव लोचन भी बिल्कुल ही संत स्वभाव के हैं। इलाके के लोग उन्हें आम बोलचाल में साधू बाबा या संत जी कहते हैं। इसी बात को ध्यान में रखकर नीतीश कुमार ने बाहुबली अनंत सिंह के सामने संत छवि वाले राजीव लोचन को मैदान में उतारा है। आम लोगों और मीडिया के लिए भले राजीव लोचन एक नया नाम लग रहा है लेकिन भाजपा और जदयू कार्यकर्ताओं के लिए वे चिरपरिचित चेहरा हैं।

अनंत वर्सेज सियासी संत

दरअसल, देश भर में दलहन की पैदावार के लिए मोकामा टाल सबसे ज्यादा उपजाऊ माटी खातिर जाना जाता है। इस इलाके में जिधर भी कदम बढ़ाइए उधर खेत ही खेते नजर आते हैं। कोसो चलने पर इक्का-दुक्का आबादी वाले इलाके दिखते हैं। यह इलाका अमूमन वीरान जरूर रहता है। लेकिन पैदावार अच्छी होने के चलते यहां हमेशा से ज़मीन को लेकर जंग जारी रहती है। इसी जंग के बेहद अहम किरदार में शुमार करते है अनंत सिंह।

अनंत की हरी कथा हरि कथा अनन्ता

मोकामा टाल क्षेत्र के लोगों से बात करेंगे तो आपको अनंत सिंह के बाहुबल की अनगिनत कथाये सुनने को मिलेगी। बेहद गरीब परिवार से आने वाले अनंत सिंह ने अपने सगे बडे भाई और मोकामा से विधायक व राजद शासन में मंत्री रहे दिलीप सिंह के रहबरी में टाल पर न केवल बादशाहत कायम की बल्कि इलाके में किसी ने उनका रॉबिनहुड अवतार देखा तो किसी के जीवन में वह काल बनकर आए। अपराध की दुनिया का सिरमौर बनने का गुरुर ऐसा था कि दुनिया इन्हें छोटे सरकार कहने लगी।

साथ ही दुःसाहस ऐसा की गिरफ्तारी खातिर अनंत के गांव लदमा पहुची एसटीएफ़ पर छोटे सरकार के बन्दूकबाजों ने फायरिंग कर दी। इस घंटो चले इंकॉउंटर मे अनन्त के 9 शूटर मारे गए वही दूसरी तरफ एसटीएफ का एक जवान शहीद हो गया था। इस इनकॉउंटर की गूंज और मिले हथियारों ने अनन्त को देश भर में सुर्खियों में ला दिया था।

अनंत सिंह अभी भी जेल में हैं। लंबे समय तक नीतीश कुमार के खास रहे अनंत सिंह इस बार राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के टिकट पर भाग्य आजमा रहे हैं। ऐसे बाहुबली और मगहिया डॉन की ख्याति वाले अनन्त को हराने के लिए मुख्यमंत्री ने एक ऐसे नेता को मैदान में उतारा है जिसकी पहचान एक सियासी संत के रूप में है।

बिरादरी पर है अच्छी पकड़

राजीव लोचन यूं तो मोकामा में चिर परिचित चेहरा नहीं हैं, लेकिन बीजेपी और जेडीयू के ज्यादातर कार्यकर्ता उन्हें भली-भांति जानते हैं। वे लंबे समय से एनडीए के प्रत्याशी के लिए वोट जुटाते रहे हैं। राजीव लोचन के बातचीत करने का लहजा बेहद नरम है। इलाके लोगों तक पहुंच सुगम है। अब जेडीयू ने उन्हें प्रत्याशी बनाया है तो रातों-रात उनका नाम इलाके में आग की तरह फैल चुका है। यह तो समय बताएगा कि राजीव लोचन की साधु छवि और एनडीए कॉम्बिनेशन क्या बाहुबली अनंत का सियासी अन्त कर पायेगा या नही?

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