पटना। राज्य सरकार ने मंगलवार को बड़ा फैसला लेते हुए 3303 नए राजस्व कर्मचारियों के पदों का सृजन कर दिया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इसे हरी झंडी दी गई। इन पदों के लिए 131 करोड़ 74 लाख 21 हजार 368 रुपये का वित्तीय प्रावधान स्वीकृत किया गया है।
भूमि प्रबंधन को मिलेगी रफ्तार
सरकार का मानना है कि नई नियुक्तियों से भूमि प्रबंधन, पंजीकरण और राजस्व कार्यों में तेजी आएगी। इससे जमीन से जुड़े विवादों का समय पर निपटारा होगा, रजिस्ट्री प्रक्रिया में तेजी आएगी और दलालों का हस्तक्षेप कम होगा। प्रशासनिक हलकों में इसे “गेम चेंजर” करार दिया जा रहा है।
कर्मचारियों और आपदा राहत के लिए भी सौगात
कैबिनेट बैठक में राज्यकर्मियों को यात्रा भत्ता में संशोधन की मंजूरी दी गई। वहीं, आकस्मिकता निधि को 26 मार्च 2026 तक बढ़ाकर 31,689.50 करोड़ रुपये कर दिया गया है, ताकि आपदा प्रभावित क्षेत्रों में तुरंत राहत पहुंचाई जा सके।
सियासी हलचल तेज
सरकार के इस फैसले पर राजनीतिक घमासान भी शुरू हो गया है। विपक्ष ने इसे चुनावी साल का “लोकलुभावन कदम” बताया और कहा कि सरकार जनता की भलाई से ज्यादा वोट बैंक साधने में जुटी है। जबकि सत्ता पक्ष का दावा है कि यह फैसला किसानों, गरीबों और आम जनता के लिए सीधा लाभकारी साबित होगा।
विशेषज्ञों की राय
जानकारों का कहना है कि शहरी लीज व्यवस्था से उद्योग और इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को नई गति मिलेगी। वहीं, राजस्व विभाग में नई भर्ती से पारदर्शिता और ई-गवर्नेंस को मजबूती मिलेगी।
कुल मिलाकर, सरकार का यह कदम न सिर्फ प्रशासनिक सुधार है बल्कि एक राजनीतिक संदेश भी देता है — “अब जमीन झगड़े की नहीं, तरक्की की पहचान बनेगी।”