बिहार सरकार द्वारा राज्यभर में चल रहे भूमि सर्वेक्षण अभियान का कार्य प्रगति पर है, जिसे दिसंबर 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। पहले रैयतों को भूमि संबंधी दस्तावेज—प्रपत्र-2 (स्व-घोषणा पत्र) और प्रपत्र-3 (वंशावली विवरण)—31 मार्च 2025 तक ऑनलाइन या ऑफलाइन जमा करने की समय-सीमा दी गई थी।हालांकि, अब राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री संजय सरावगी ने समय-सीमा बढ़ाने की घोषणा की है, लेकिन अभी तक नई अंतिम तिथि की औपचारिक घोषणा नहीं की गई है। इससे रैयतों के बीच भ्रम की स्थिति बनी हुई है। बहुत से जमीन मालिक अभी तक पुराने दस्तावेजों की अनुपलब्धता के कारण अपना दावा दर्ज नहीं कर पाए हैं।दरभंगा के सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी कमलेश प्रसाद के अनुसार, अब तक जिले में करीब 73% रैयतों ने ही अपने दस्तावेज अपलोड किए हैं। बाकी लोग अभिलेख न मिलने के कारण परेशान हैं। कई पुराने दस्तावेज अभी तक अभिलेखागार में उपलब्ध नहीं हो सके हैं।मंत्री सरावगी ने स्पष्ट किया है कि रैयत जिनके पास जो भी वैध दस्तावेज हैं, उसी के आधार पर दावा दर्ज करें। हालांकि, कई रैयतों को चिंता है कि भविष्य में अगर और दस्तावेजों की मांग हुई, तो वे उन्हें कहां से लाएंगे।
भूमि विवादों को समाप्त करने और रिकॉर्ड्स को डिजिटलीकरण करने के उद्देश्य से इस अभियान को शुरू किया गया था, लेकिन तकनीकी समस्याओं और दस्तावेजों की कमी के चलते प्रगति धीमी हो रही है।अब तक राज्य में 15,23,332 जमाबंदी कायम की जा चुकी है, जिनमें से 14,09,278 सही और 1,85,946 में त्रुटियाँ पाई गई हैं। कई रैयतों के आवेदन अभी भी लंबित हैं।18 अंचलों के 1238 राजस्व गांवों में आम सभाएं हो चुकी हैं। ऑर्थो फोटोग्राफी के जरिए नक्शे बनाए गए हैं। अब तक 8,57,316 स्व-घोषणा पत्र प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 19,707 अभी अपलोड किए जाने बाकी हैं।इसके अलावा, 1197 राजस्व गांवों में प्रपत्र-5 के अंतर्गत खेसरा प्रविष्टि का काम शुरू किया गया है, जिसमें 834 गांवों में कार्य पूरा हो चुका है। सरकार की कोशिश है कि तकनीकी रुकावटों को जल्द दूर कर प्रक्रिया को सुचारू रूप से पूरा किया जा सके।