बिहार पुलिस मुख्यालय ने मीडिया को ‘बाइट’ देने को लेकर 22 जुलाई को जारी अपने आदेश में महत्वपूर्ण बदलाव किया है। बुधवार को पुलिस मुख्यालय ने एक नया स्पष्टीकरण पत्र जारी कर यह स्पष्ट किया कि पहले दिए गए निर्देशों को गलत तरीके से समझा और प्रचारित किया जा रहा था।
पहले क्या कहा गया था?
दरअसल, मंगलवार को बिहार के डीजीपी विनय कुमार की ओर से एक आदेश जारी हुआ था, जिसमें साफ तौर पर कहा गया था कि अब किसी भी पुलिस अधिकारी या कर्मचारी को मीडिया से सीधे संवाद करने की अनुमति नहीं होगी। मीडिया को जानकारी देने की जिम्मेदारी केवल मुख्यालय स्तर पर अधिकृत प्रवक्ता को दी गई थी। इस निर्देश के बाद कई सवाल खड़े हो गए थे और इसे अधिकारियों की मीडिया अभिव्यक्ति पर पाबंदी के तौर पर देखा गया।
अब क्या कहा गया है?
बुधवार को जारी नई अधिसूचना में मुख्यालय ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि मीडिया को जानकारी देने की प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं किया गया है, बल्कि उसे प्रक्रियागत रूप से व्यवस्थित किया गया है।
अब भी जिलों में एसएसपी, एसपी या उनके द्वारा अधिकृत अधिकारी मीडिया से संवाद कर सकते हैं, जैसा पहले होता रहा है। वहीं, मुख्यालय स्तर पर केवल पुलिस महानिदेशक की अनुमति से नामित प्रवक्ता ही महत्वपूर्ण मामलों पर प्रेस नोट पढ़कर मीडिया को जानकारी देंगे।
प्रभागीय मामलों पर क्या होगा?
यदि किसी विषय का संबंध किसी विशेष प्रभाग से है, तो वहां के प्रभागीय प्रमुख भी डीजीपी की स्वीकृति के बाद मीडिया से बात कर सकते हैं। इसका मतलब है कि मुख्यालय के आदेश का उद्देश्य केवल अनाधिकृत बयानों पर नियंत्रण रखना है, न कि मीडिया संवाद को पूरी तरह रोक देना।
क्या कहा मुख्यालय ने?
मुख्यालय द्वारा जारी स्पष्टीकरण में कहा गया है कि, “ज्ञापांक-107/ गो० दिनांक-22.07.2025 को लेकर मीडिया और सोशल मीडिया पर ग़लत व्याख्या की जा रही है। आदेश का मकसद किसी पर प्रतिबंध लगाना नहीं बल्कि सूचना के प्रवाह को अधिकृत और जवाबदेह बनाना है।”