स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी भूमिका निभानेवाली महान क्रांतिकारी मैडम भीकाजी रुस्तम कामा जी की जयंती, जेडीयू ट्रेडर्स प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष संजीव श्रीवास्तव ने किया नमन

Patna Desk

NEWSPR डेस्क। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी भूमिका निभानेवाली महान क्रांतिकारी मैडम भीकाजी रुस्तम कामा जी की आज जयंती है। इस मौके पर जेडीयू ट्रेडर्स प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष संजीव श्रीवास्तव ने उन्हें नमन कर श्रद्धांजलि दी। उन्होंने बताया कि भीकाजी रुस्तम कामा अथवा ‘मैडम कामा’ का नाम क्रांतिकारी आन्दोलन में विशेष उल्लेखनीय है, जिन्होंने विदेश में रहकर भी भारतीय क्रांतिकारियों की भरपूर मदद की थी। उनके ओजस्वी लेख और भाषण क्रांतिकारीयों के लिए अत्यधिक प्रेरणा स्रोत बने।

भीकाजी रुस्तम कामा भारतीय मूल की फ़्राँसीसी नागरिक थीं, जिन्होंने लन्दन, जर्मनी तथा अमेरिका का भ्रमण कर भारत की स्वतंत्रता के पक्ष में माहौल बनाया। वे जर्मनी के स्टटगार्ट नगर में 22 अगस्त 1907 में हुई सातवीं अंतर्राष्ट्रीय कांग्रेस में तिरंगा फहराने के लिए सुविख्यात हैं। उस समय तिरंगा वैसा नहीं था जैसा वर्तमान में है। ये मैडम कामा के नाम से प्रसिद्ध हैं।

मैडम कामा का जन्म 24 सितंबर सन् 1861 में एक पारसी परिवार में हुआ था। मैडम कामा के पिता प्रसिद्ध व्यापारी थे। मैडम कामा ने अंग्रेज़ी माध्यम से शिक्षा प्राप्त की। अंग्रेज़ी भाषा पर उनका प्रभुत्व था। श्री रुस्तम के. आर. कामा के साथ उनका विवाह हुआ। वे दोनों अधिवक्ता होने के साथ ही सामाजिक कार्यकर्ता भी थे, किंतु दोनों के विचार भिन्न थे। रुस्तम कामा उनकी अपनी संस्कृति को महान् मानते थे, परंतु मैडम कामा अपने राष्ट्र के विचारों से प्रभावित थीं। उन्हें विश्वास था कि ब्रिटिश लोग भारत का छल कर रहे हैं। इसीलिए वे भारत की स्वतंत्रता के लिए सदा चिंतित रहती थीं। मैडम कामा ने श्रेष्ठ समाज सेवक दादाभाई नौरोजी के यहां सेक्रेटरी के पद पर कार्य किया। उन्होंने यूरोप में युवकों को एकत्र कर स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए मार्गदर्शन किया तथा ब्रिटिश शासन के बारे में जानकारी दी। मैडम कामा ने लंदन में पुस्तक प्रकाशन का कार्य आरंभ किया। उन्होंने विशेषत: देशभक्ति पर आधारित पुस्तकों का प्रकाशन किया। वीर सावरकर की ‘1857 चा स्वातंत्र्य लढा’ (1857 का स्वतंत्रता संग्राम) पुस्तक प्रकाशित करने के लिए उन्होंने सहायता की। मैडम कामा ने स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए क्रांतिकारियों को आर्थिक सहायता के साथ ही अन्य अनेक प्रकार से भी सहायता की। सन् 1907 में जर्मनी के स्ट्रटगार्ड नामक स्थानपर ‘अंतरराष्ट्रीय साम्यवादी परिषद’ संपन्न हुई थी। इस परिषद के लिए विविध देशों के हजारों प्रतिनिधी आए थे। उस परिषद में मैडम भीकाजी कामा ने साड़ी पहनकर भारतीय झंडा हाथ में लेकर लोगों को भारत के विषय में जानकारी दी।

मैडम भीकाजी कामा ने भारत का पहला झंडा फहराया, उसमें हरा, केसरिया तथा लाल रंग के पट्टे थे। लाल रंग यह शक्ति का प्रतीक है, केसरिया विजय का तथा हरा रंग साहस एवं उत्साह का प्रतीक है। उसी प्रकार 8 कमल के फूल भारत के 8 राज्यों के प्रतीक थे। ‘वन्दे मातरम्’ यह देवनागरी अक्षरों में झंडे के मध्य में लिखा था। यह झंडा वीर सावरकर ने अन्य क्रांतिकारियों के साथ मिलकर बनाया था।

 

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