BREAKING- PMCH का करिश्मा: पोस्टमार्टम के समय कफन हटा तो दूसरे की डेडबॉडी थी, वह तो अस्पताल में जिंदा था

Sanjeev Shrivastava

NEWSPR DESK- सूबे की सबसे बड़ा अस्पताल ने इतिहास रच डाला। PMCH में कोविड से 40 साल के एक शख्स की मौत का प्रमाणपत्र दिया और फिर पैक कर उसकी डेडबॉडी भी परिजनों को सौंप दी, जबकि वह आदमी जिंदा है। इसी अस्पताल में है। उसकी स्थिति में सुधार भी है। प्रमाणपत्र गलत दिया और डेडबॉडी दूसरे की

यह पता भी इसलिए चल गया क्योंकि कोविड पॉजिटिव के बावजूद परिजनों ने अंत्येष्टि से पहले कफन हटाकर मृतक का चेहरा देख लिया। अंत्येष्टि से पहले दूसरे की डेडबॉडी देख परिजन वापस PMCH पहुंचे और अंदर जाकर पड़ताल की तो अपने मरीज को जिंदा पाया। इस करिश्मे से एक तरफ परिजन खुश हैं कि उनका मरीज जिंदा है और गुस्से में हैं कि उन्हें गमज़दा कर परेशान किया गया।

ब्रेन हैमरेज के बाद PMCH में एडमिट हुए थे बाढ़ के चुन्नू कुमार

पटना के बाढ़ के रहने वाले चुन्नू कुमार को ब्रेन हैमरेज हुआ था। इसके बाद शुक्रवार को उन्हें PMCH में भर्ती कराया गया था। परिजनों का आरोप है कि भर्ती कर बेड दिलाने के लिए भी उनसे 200 रुपये लिए गए थे। अंदर किसी को जाने भी नहीं दिया जा रहा था।

इसके बाद शनिवार की रात परिजनों ने एक स्टाफ को 150 रुपये देकर मरीज का वीडियो अंदर से बनवाकर मंगाया। तब वो ठीक थे। आज रविवार की सुबह 10 बजे के करीब बताया गया कि आपके मरीज की स्थिति खराब हो गई है। फिर एक घंटे बाद उन्हें मृत बताकर अस्पताल ने सब कागजी कार्रवाई कर दी और डेडबॉडी को पैक कर हमें दे दिया।

पत्नी ने कहा – जिद पर चेहरा खुला तब जानी असलियत

चुन्नू कुमार की पत्नी कविता देवी के अनुसार उन्हें जब मौत की जानकारी मिली तो एक पल के लिए समझ ही नहीं आया कि क्या करें।अस्पताल में कहा गया कि डेडबॉडी घर नहीं ले जाना है। इसके बाद हमलोग बॉडी लेकर अंतिम संस्कार के लिए बांसघाट गए।

वहां मशीन पर चढाने से पहले मैंने अंतिम बार चेहरा देखने की जिद की। इसपर भी रुपये मांगे गए और तब चेहरा दिखाने के लिए बॉडी को खोला गया। लेकिन मैं दूर से भी पहचान गई। न चेहरा उनका था, न कपड़े, न कदकाठी। तब हमलोगों ने संस्कार करने से मना कर दिया और वापस PMCH आ गए।

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