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गाड़ी, बंगला नहीं… बिहार के इस गांव में दहेज की शर्त होती है नाव, पूरी होने पर जुड़ता है रिश्ता

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NEWSPR डेस्क। बिहार का एक गांव ऐसा है, जहां शादी में नाव का रोल बेहद अहम होता है। रिश्ता तभी जुड़ता है, जब दूल्हे को शादी में नाव गिफ्ट करने की मांग पूरी होती है। नाव नहीं मिलने पर रिश्ता टूटने का भी खतरा होता है। यकीन न हो तो आइए कटिहार के अमदाबाद प्रखंड में, जहां दर्जनों गांव महानंदा और गंगा नदी के तट पर मौजूद हैं। ऐसे में यहां घर-घर नाव खड़ी मिलती है। दुल्हन के पिता भी शादी में दूल्हे को दहेज में नाव देते हैं।

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अमदाबाद प्रखंड के हरदेव टोला, चौक चामा, भगवान टोला, घीसू टोला, तेजू टोला, लक्खी टोला, नया टोला, गदाई दियारा, गोपी टोला, गोविंदपुर बहरसाल, भारत टोला, कीर्ति टोला, घेरा गांव, मुरली राम टोला जैसे कई गांव हैं। जहां आवागमन का एक मात्र जरिया नाव है। यही कारण है कि यहां शादी समारोह हो तो आने-जाने में दिक्कतों को देखते हुए लड़के वालों की ओर से नाव की शर्त रखी जाती है।

नाव लड़की वालों के घर है या नहीं ये भी पूछा जाता है।दुर्गापुर और करीमुल्लापुर पंचायत के मुखिया गोपाल प्रसाद सिंह की मानें तो नदी के किनार घर होने की वजह से ऐसा होता है। हर साल के चार महीने नाव से ही जिला मुख्यालय तक आना जाना होता है। यही वजह है कि दर्जनों गांव में लोग अपनी बेटी के ब्याह पर दहेज में दामाद को नाव देते हैं। नाव दहेज में लेने का यहां रिवाज है। जिससे दुल्हन अपने हमसफर के साथ बाढ़ या बरसात में आवाजाही कर सकें।

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