NEWSPR/DESK : बेटी होने के बाद बेटे की चाहत रखने वालों के लिए धनबाद की एक यह आदिवासी दंपती मिसाल से कम नहीं है. सुमति मरांडी दंपती की इकलौती संतान है. दंपती का दावा है कि बेटी के बाद कभी बेटे की चाहत नहीं की. बेटी पर ही तमाम खुशियां लुटाती रही. बेटी राज्य स्तरीय फुटबॉल प्रतियोगिता में प्रतिनिधित्व कर मैडल हासिल चुकी है. मगर, सरकार की उदासीनता के कारण अब वह दूसरों के खेतों में दिहाड़ी मजदूरी करने को विवश है l
मैथन एरिया पांच नंबर स्थित पुरुलिया बस्ती का रहने वाला है आदिवासी लखीराम मरांडी. शनि मरांडी इनती पत्नी है. बेटी से ही अपने सपनों को पूरा करने की इच्छा दोनों के अंदर रही है. बेटी सुमति मरांडी बड़ी होकर किसी क्षेत्र में बेटे से अपने आप को कम नहीं मानती है. फुटबॉल खिलाड़ी के रूप में सुमति ने राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में अपना परचम लहराया. नवंबर 2019 में रांची में आयोजित राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में शामिल हुई. धनबाद जिला स्तर पर भी फुटबॉल खेलती रही है. मेडल भी हासिल की. फुटबॉलर के साथ साथ वह अच्छी धाविका भी है. साल 2016 में राज्य स्तरीय एथलेटिक्स में 400 मीटर दौड़ में मेडल हासिल कर चुकी है l
मगर, अब उसके परिवार की स्थिति दयनीय हो चली है.परिवार के भरण पोषण की जिम्मेदारी उसके कंधों पर आ गई है. परिवार की जिम्मेवारी उठाने के लिए वह दूसरे के खेतों में दिहाड़ी मजदूरी का काम करती है. हां, उम्मीद अभी भी नहीं छोड़ी है. इसी उम्मीद की वजह से प्रैक्टिस कभी नहीं छोड़ती है. सुमति कहती है कि सरकार से यदि उसे कोई नौकरी मिल जाती तो परिवार के भरण पोषण में मदद मिल जाती. साथ ही वह अपने और माता-पिता के सपनों को भी ऊंचाई तक ले जा सकती है l
सुमति की मां शनि मरांडी कहती है कि हमारी यही एक संतान है. बुढापे का सहारा है. इतना अच्छा खेलने के बावजूद सरकार का ध्यान हमारी बेटी पर नहीं है. सरकार यदि मदद नहीं करेगी तो हम सभी सड़क पर बैठकर भीख मांगने को मजबूर हो जायेंगे. सरकार की तरफ से महीने में पांच किलो अनाज मिलता है. इससे तो जीवन नहीं कट सकता है. पिता लखीराम मरांडी का कहना है कि सरकार बेटी को नौकरी दे देती तो अच्छा रहता. हम सब का गुजर बसर भी चल जाता और बेटी के सपनों को पंख भी लग जाते.
इस आदिवासी दंपत्ती ने तो अपनी बेटी पर भरोसा और विश्वास जताया है।लेकिन सरकार को भी चाहिए कि इस दंपत्ती की तरह ही बेटियों पर विश्वास जताकर उन्हें रोजगार से जोड़ने की। ताकि हमारी बेटियां हम पर गर्व महसूस कर अपना नाम देश और दुनिया मे रौशन कर सके।