नहीं होने दी जाएगी किसी भी बहाने झारखंड से बेटियों की तस्‍करी, कलंक को मिटाना सरकार की प्राथमिकता

Patna Desk

NEWSPR/DESK : नीति आयोग की सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल की रिपोर्ट के अनुसार, मानव तस्करी के मामले में झारखंड देश में चौथे स्थान पर है। राज्‍य में हर 10 लाख की आबादी पर 12,700 लोग मानव तस्करी के शिकार हो रहे हैं। इनमें से 80 फीसद से ज्यादा लोग इस चंगुल से निकल नहीं पाते हैं। इसकी शिकार ज्यादातर लड़कियां होती हैं। लोग बहला फुसलाकर लड़कियों को काम दिलाने के लालच में बड़े शहरों में ले जाते हैं और वहां से लड़कियां हमेशा के लिए गायब हो जातीं है। हजारों मामले में लड़कियों का कोई  पता नहीं चल पाता है। गरीबी और अभाव में लड़कियां मानव तस्करों के चंगुल में फंस जाती हैं। लेकिन अब ऐसा नहीं होने दिया जाएगा। मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि
किसी भी बहाने झारखंड की बेटियों की तस्‍करी नहीं होने दी जाएगी। झारखण्ड से मानव तस्करी के कलंक को मिटाना सरकार की प्राथमिकता है। बता दें कि सीएम नेफ़रवरी में ही सभी जिले के डीसी को मानव तस्करों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। उन्होंने ट्वीट कर लिखा था ‘झारखण्ड से मानव तस्करी के कलंक को मिटाना सरकार की प्राथमिकता है। मानव तस्करों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें’। यह दिन मुख्यमंत्री के पदभार का 36वां दिन था। यह झारखण्ड की गरीब आबादी के लिए परिवर्तन और उनके उज्ज्वल भविष्य के युग का शुभारम्भ था। उस दिन से आज तक मानव तस्करी रोकने और प्रवासी श्रमिकों के मान-सम्मान के लिए राज्य सर्कार लगातार प्रयासरत है।

विशेष महिला पुलिस ऑफिसर की होगी नियुक्ति

सीएम ने कहा कि श्रमिकों के अधिकारों का हनन नहीं होगा। झारखण्ड के ग्रामीण इलाकों में मानव तस्करी पर नजर रखने के लिए राज्य भर में विशेष महिला पुलिस ऑफिसर की नियुक्ति की जाएगी। साथ ही कोरोना संक्रमण से प्रभावित बच्चों की स्थिति का किसी को फायदा नहीं उठाने दिया जाएगा। हम अपने बच्चों की देखभाल करेंगे। कोई भी बच्चा किसी भी प्रकार के अनुचित साधनों का शिकार नहीं होगा। सरकार जल्द ही ऐसे बच्चों के पुनर्वास के लिए एक विस्तृत योजना लेकर आएगी, जिन्होंने दुर्भाग्य से अपने माता-पिता को खो दिया है।‘ यहां हम ऐसे कई मामलों पर नजर डालेंगे जिसमे अभी तक कई लोगों को राज्य सर्कार ने तस्करी होने से बचाया है। साथी ही प्रवासी मजदूरों को सम्मानपूर्वक उनके घर पहुँचाया है।

सीएम की पहल पर यूपी से छुड़ाए गए बंधक मजदूर

मुख्यमंत्री को कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश के देवरिया में फंसे 33 प्रवासी श्रमिकों के बंधक होने का पता चला। मुख्यमंत्री ने संज्ञान लेकर तुरंत अधिकारियों को उनकी सुरक्षित वापसी के निर्देश दिया। जिसके बाद अधिकारी 33 प्रवासी श्रमिकों को सुरक्षित झारखण्ड वापस लेकर आये। वहीँ देवरिया स्थित ईट भट्ठे से लापता हुई दो महिला श्रमिकों को भी वापस रांची ले आया गया। महिलाएं लोहरदगा की थीं। ईंट भट्ठे के संचालक ने दोनों महिलाओं को अगवा कर लिया था। इनसे संबंधित जानकारी मिलने के बाद मुख्यमंत्री ने उन महिलाओं को वापस लाने के निर्देश दिए थे। इधर नेपाल में दुमका के 26 प्रवासी मजदूर फंसे हुए थे।  मुख्यमंत्री ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए श्रमिकों को हर संभव प्रयास से वापस लाने का निर्देश दिया। श्रमिकों को वापस लाने के लिए एक एम्बुलेंस के साथ एक विशेष बस को नेपाल-भारत सीमा पर भेजा गया। सभी का सुरक्षित दुमका वापसी सुनिश्चित हुआ।

मानव तस्करी के खिलाफ लगातार अभियान

7 नवंबर 2020 को 45 लड़कियों को बचाया गया और उन्हें दिल्ली से एयरलिफ्ट किया गया। फ़रवरी 2021 में दिल्ली से 12 लड़कियों और दो लड़कों सहित 14 नाबालिगों को छुड़ाया गया। इन लड़कियों को रोजगार के बहाने हायरिंग एजेंसियों के जरिए दिल्ली ले जाया गया था। 24 जून 2021 को पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई में रांची रेलवे स्टेशन और बिरसा मुंडा हवाई अड्डे से लगभग 30 नाबालिग लड़कियों और लड़कों को सफलतापूर्वक रेस्क्यू किया गया। इन सभी को तस्करी कर दिल्ली ले जाया जा रहा था। जून 2021 में ही, मुख्यमंत्री को तमिलनाडु के तिरुपुर में फंसे 36 आदिवासी लड़कियों / महिलाओं के बारे में पता चला। उनमें से कई लोगों ने कोविड-19 की स्थिति के कारण अपनी नौकरी खो दी थी और उनके पास घर लौटने का कोई साधन नहीं बचा था। मुख्यमंत्री के निर्देश पर उन सभी को ट्रेन के माध्यम से वापस दुमका लाया गया।


सरकारी खर्च पर वापस लाए जा रहे प्रवासी मजदूर
देश भर से लौटे या मुक्त हुए मानव तस्करी के शिकार लोग या प्रवासी श्रमिकों को न केवल सरकारी खर्च पर वापस लाया जा रहा है, बल्कि उन्हें सरकारी योजनाओं से आच्छादित भी किया जा रहा है। उनके कौशल के आधार पर उनके जिले में उन्हें काम उपलब्ध कराया गया है। मानव तस्करी से छुड़ाई गई बच्चियों के पुनर्वास के लिए हर संभव उपाय किए जा रहे हैं। उनके उज्ज्वल भविष्य और आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक 2,000 रुपये का जीवनयापन खर्च, मुफ्त शिक्षा, कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने विशेष रूप से मानव तस्करी के मामले में बदनाम जिलों में मानव तस्करी रोधी इकाइयों की स्थापना के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी है।
मानव तस्करी मामले में चौथे नंबर पर झारखण्ड बता दें देश में प्रति 10 लाख की आबादी में औसतन 0.46 फीसद यानी 4600 लोग मानव तस्करी का शिकार होते हैं। वहीं झारखंड में यह आकड़ा 1.27 फीसद है। मामले में झारखंड देश में चौथे स्थान पर है। इस प्रकार राज्य का औसत राष्ट्रीय औसत से 0.81 फीसद ज्यादा है। ऐसे में मानव तस्करी को लेकर राज्य में चलाए जा रहे अभियान पर भी सवालिया निशान खड़े होते हैं। ज्यारदातर तस्करी के मामले सिमडेगा, गुमला, खूंटी व संथाल से ही होते हैं।

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