भारत के 9 गांव बने मिसाल, घर में भी मेंटेन करते हैं सोशल डिस्टेंसिंग, 2 साल बाद भी कोरोना का एक भी केस नहीं

Rajan Singh
udaipur village no corona patient

देशभर में कोरोना की दूसरी लहर कहर बरपा रही है. अस्पताल में जगह नहीं है और ऑक्सीजन के लिए चारो ओर हाहाकार मचा है. कोरोना से मौत की सूचना अब हर गली-मोहल्ले से आने लगी है. गांव में भी यह महामारी पैर पसार चुकी है. ऐसे में राजस्थान के उदयपुर के 9 गांव इस कोरोना महामारी में नजीर बनकर उभरे हैं. सावधानी और समझदारी से गांव के लोगों ने अपने गांवों में कोरोना की एंट्री नहीं होने दी है.

दरअसल राजस्थान के उदयपुर जिले की धार पंचायत समिति के धार, बड़ंगा, बनादिया, निचला बनादिया, गहलोतों का वास, पालखंडा, शंकरखेड़ा, कुंडाल उबेश्वर और निचली वियाल गांव में कोरोना अब तक नहीं पहुंच पाया है. यहां की कुल जनसंख्या लगभग 11 हजार है. महामारी के इस दौर में भी कोरोना वायरस इन गावों के लोगों को अपनी चपेट में नहीं ले पाया है. इसका प्रमुख कारण इनका अनुशासन और सूझबूझ है. ऐसे में उदयपुर की धार पंचायत समिति देशभर में कोरोना के खिलाफ जंग में नाम कमा रही है.

उदयपुर के इन गांवों में लोग घर में भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हैं।

गांव में ही कर रहे मजदूरी
गांव के रहने वालों ने बताया कि पिछले 2 साल से कोरोना हमारे गांव में नहीं पहुंचा है. सब लोग पूरी तरह स्वस्थ और मस्त हैं. भगवान उबेश्वर नाथ की कृपा से हम लोग अब तक इस महामारी से दूर हैं. धार गांव के रहने वाले एक मजदूर ने बताया कि वह अपनी आजीविका चलाने के लिए पहले उदयपुर शहर जाकर लोगों के घर बनाते थे. कोरोना शुरू होने के बाद गांव के लोग गांव में रहकर ही जरूरतमंदों के घर में सुधार कर रहे हैं, ताकि कोरोना का खतरा उनके गांव और परिवार तक न पहुंच पाए.

कोरोना की वजह से मजदूरी छूटने पर अपने घर को ही दुरुस्त करते मजदूर।

खेती-बाड़ी से हो रहा गुजारा
ताउते तूफान से क्षतिग्रस्त हुए अपने घर को दुरुस्त कर रहे गांव वालों ने कोरोना शुरू होने के बाद शहर जाना ही बंद कर दिया है. अब वे अपने घर में रहकर सिर्फ गांव में ही खेती करते हैं. ताकि कोरोना संक्रमण का खतरा उन तक और उनके परिवार तक नहीं पहुंच सके और परिवार का गुजर-बसर होता रहे. कुछ मदद उन्हें सरकार की ओर से भी मिल रही है.

एक-दूसरे से दूरी बनाकर बातचीत करती हैं महिलाएं।

बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक
धार पंचायत समिति में ही रहने वाले ने बताया कि संक्रमण के इस दौर में बसें बंद हैं. इससे गांव का शहरों से संपर्क पूरी तरह टूट गया है. बाहरी लोगों के गांव में आने पर रोक लगा दी गई है. इससे संक्रमण का खतरा कम हुआ है. इस दौर में आजीविका चलाने के लिए गांव के लोग गांव के ही लोगों के काम कर रहे हैं, ताकि गुजर-बसर हो सके.

ग्रामीण आयुर्वेदिक केंद्र पर उपचार कराती महिला।

दूर-दूर बने हैं घर, इसलिए महामारी दूर
धार में जिला प्रशासन द्वारा लगाए गए इंसीडेंट कमांडर डॉ. सत्यनारायण ने बताया कि ग्रामीणों का रहन-सहन कोरोना को रोकने के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित हो रहा है, क्योंकि गांव में सोशल डिस्टेंसिंग के आधार पर ही दूर-दूर घर बने हुए हैं. इसके साथ ही ग्रामीण काफी मेहनतकश भी हैं. इसकी वजह से उनकी हार्ड इम्यूनिटी डेवलप हो चुकी है, जो आसानी से संक्रमण को नहीं फैलने दे रही है.

महिलाएं गांव में सोशल डिस्टेंसिंग को करती हैं फॉलो।

डॉ. सत्यनारायण ने बताया कि ग्रामीण इलाकों में स्थानीय शिक्षक घर-घर जाकर लोगों को कोरोना से बचने के उपाय बता रहे हैं. साथ ही मामूली सर्दी-जुकाम का भी उन्हें प्राथमिक उपचार दिया जा रहा है. ताकि संक्रमण को फैलने से पहले ही रोका जा सके. इसी का नतीजा है कि धार पंचायत समिति के 9 गांव आज भी महामारी से मुक्त हैं.

ग्रामीणों की सूझबूझ
क्षेत्रीय विधायक फूल सिंह मीणा ने बताया है कि धार पंचायत समिति के 9 गांव महामारी के इस दौर में भी सजगता और सावधानी की वजह से संक्रमण से दूर हैं. बकौल मीणा, ग्रामीणों ने अपने स्तर पर ही अपने क्षेत्र में प्रभावी लॉकडाउन लागू कर रखा है. इसकी वजह से न तो कोई व्यक्ति शहरी क्षेत्र में आता-जाता है. और न ही कोई व्यक्ति बेवजह अपने घर से बाहर निकलता है. ऐसे में महामारी का खतरा अब तक इन तक नहीं पहुंच पाया है.

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विधायक मीणा ने कहा कि महामारी के इस दौर में जिला प्रशासन भी पूरी तरह सजग है. इसी का नतीजा है कि धार पंचायत के 9 गांवों में जरूरतमंद लोगों तक राशन और मेडिकल सुविधाएं भी उपलब्ध हो रही हैं. इसकी वजह से ग्रामीणों को शहरी क्षेत्र में नहीं जाना पड़ रहा है.

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